सीआईएसएफ, ने इस वर्ष अपनी स्थापना के 56 साल पूरे होने पर एक अनूठे अभियान की शुरुआत की है। तटीय क्षेत्रों में राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में लोगों को सचेत करने के लिए सीआईएसएफ ने ‘ग्रेट इंडियन कोस्टल साइक्लोथॉन’ का आयोजन किया है। इसके तहत सीआईएसएफ के 125 साइकिल चालक 25 दिन में 6553 किलोमीटर की दूरी तय करने के सफर पर निकले हैं। यह ‘साइक्लोथॉन’ सात मार्च से प्रारंभ हुआ था और 31 मार्च को कन्याकुमारी में स्वामी विवेकानंद मेमोरियल पर इसका समापन होगा। अधिकारियों के मुताबिक, अभी तक मिला यात्रा का फीडबैक शानदार रहा है। आने वाले दिनों में समुद्री तटों की सुरक्षा के लिए लगभग 20-25 हजार लोग, सीआईएसएफ के ‘आंख और कान’ यानी तटीय प्रहरी बनकर देश के सुरक्षा घेरे को मजबूत करने का काम करेंगे। सीआईएसएफ के साइकिल सवारों ने अपनी इस यात्रा के दौरान समुद्री तटों के आसपास रहने वाले हजारों लोगों के साथ बातचीत की है। उनकी समस्याओं को करीब से जाना और समझा है। समुद्री तटों पर ड्रग्स, तस्कर और घुसपैठिये, इनके बारे में लोगों के साथ विस्तार से बातचीत की गई है। सीआईएसएफ का यह पहला प्रयास है, इसलिए लोगों से मिले हर फीडबैक का बारीकि से अध्ययन किया जा रहा है। यह साइकिल यात्रा, समुद्री तटों के आसपास रहने वाले लोगों के साथ एक बॉंडिंग तैयार कर रही है। इससे राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा का घेरा, दोनों को मजबूती मिलेगी। अभी तक हुई यात्रा के फीडबैक को लेकर सीआईएसएफ के अधिकारियों का कहना था कि वे तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की मूल समस्याओं का पता लगा रहे हैं। उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है, इस मेकेनिज्म पर काम होगा।
युवाओं, महिलाओं और दूसरे आयु वर्ग के लोगों के साथ तटीय सुरक्षा को लेकर बातचीत हो रही है। लोगों को जब ‘तटीय प्रहरी’ की भूमिका के बारे में बताया गया तो उन्होंने उत्सुकता के साथ इस राह पर आगे बढ़ने की बात कही। किन क्षेत्रों में किस तरह के ‘तटीय प्रहरी’ बनाए जाएंगे, यात्रा खत्म होने के बाद इस बाबत एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार होगी। तटों पर होने वाली गतिविधियों के बारे में सबसे ज्यादा जानकारी वहां के स्थानीय लोगों को होती है, इसलिए उन्हें ‘तटीय प्रहरी’ की भूमिका के लिए तैयार किया जाएगा। वे किस तरह की गतिविधियों पर नजर रखें, कोई संदिग्ध व्यक्ति या एक्शन नजर आता है तो सबसे पहले कहां सूचना दें, ‘तटीय’ प्रहरी को आदि बातों से अवगत कराया जाएगा। यह साइक्लोथॉन 11 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से होते हुए विवेकानंद मेमोरियल तक पहुंचेगा। सीआईएसएफ के इस साइक्लोथॉन की थीम ‘सुरक्षित तट, समृद्ध भारत’ रखी गई है। यह पहल, एक खेल आयोजन से कहीं अधिक है। यह तटीय क्षेत्रों में राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने और तस्करी, विशेष रूप से ड्रग्स, हथियारों और विस्फोटकों के खतरों के बारे में नागरिकों को सतर्क करने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। 25 दिनों में इस अभियान में 14 साहसी महिला जवान भी शामिल हैं। 125 सीआईएसएफ साइकिल चालक, उक्त अवधि में छह हजार किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करेंगे। यह यात्रा पश्चिमी तट पर लखपत गुजरात और पूर्वी तट पर बक्खाली पश्चिम बंगाल से प्रारंभ हुई थी।
प्रतिदिन 95 से 180 किलोमीटर की चुनौतीपूर्ण दूरी तय करने वाले इस साइकिल अभियान की कठोर प्रकृति को देखते हुए, असाधारण शारीरिक और मानसिक द्रढ़ता वाले अधिकारियों और कर्मियों का चयन किया गया है। इसमें ह्रदय संबंधी स्वास्थ्य जांच, आधारभूत शक्ति, लचीलापन और एरोबिक क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए एक प्रारंभिक फिटनेस मूल्यांकन शामिल है। साइक्लोथॉन में भाग ले रहे प्रतिभागियों को आरटीसी बरवाहा ‘एमपी’ में गहन शारीरिक प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। भुज हवाई अड्डे पर चार दिवसीय ओरिएंटेशन ने इन प्रतिभागियों को वास्तविक दुनिया की स्थितियों में व्यावहारिक अनुभव प्रदान किया है। यहां पर सभी प्रतिभागियों को नेविगेशन और मार्ग नियोजन अभ्यास, बाइक रखरखाव व मरम्मत कार्यशाला, टीमवर्क और संचार कौशल, अलग अलग मौसम की स्थिति में सवारी का अभ्यास और आपातकालीन प्रक्रिया प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। सात मार्च को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा तमिलनाडु के रानीपेट जिले के तक्कोलम में स्थित सीआईएसएफ के क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र से साइक्लोथॉन को वर्चुअली हरी झंडी दिखाई गई थी। प्रसिद्ध हस्तियों ने इस यात्रा को अपना समर्थन दिया है। इनमें खेल हस्तियां – नीरज चोपड़ा, मनु भाकर, बाइचुंग भूटिया, महेंद्र सिंह धोनी, सुरेश रैना, जावागल श्रीनाथ आदि शामिल हैं। इसके अलावा अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी, अनिल कुमार, मनोज बाजपेयी व मिलिंद सोमन आदि बालीवुड के सितारों ने भी विभिन्न कार्यक्रमों में शिरकत की है। ओडिशा की डिप्टी सीएम प्रवती परिदा, पद्मश्री सैंड आर्टिस्ट सुधर्शन पट्टनायक, अर्जुन पुरस्कार विजेता प्रमोद भगत, ओडिशा मंत्री बिभूति भूषण जेना, राजा शिवेंद्र नारायण भंजदेव (कानिका के राजा) और अन्य लोगों ने इस कार्यक्रम को अपना समर्थन दिया है।