देहरादून। राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार व बुनियादी ढांचे के विस्तार से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में 77% की कमी आई है। साथ ही संस्थागत प्रसव भी बढ़े हैं। 25 वर्षों में ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं का दायरा बढ़ा है। वर्तमान में राज्य में 13 जिला चिकित्सालय, 21 उपजिला चिकित्सालय, 80 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 577 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और करीब 2000 मातृ-शिशु कल्याण केंद्र सक्रिय हैं। राज्य गठन के समय से मातृ मृत्यु दर प्रति एक लाख प्रसव पर 440 थी। जो वर्तमान में 91 हो गई है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान 1,47,717 संस्थागत प्रसव कराए गए, जो कुल प्रसव का 85% हैं।सरकार ने हाल ही में 6 उपजिला चिकित्सालय, 6 सीएचसी और 9 पीएचसी के उन्नयन को मंजूरी दी है। देहरादून के सेलाकुई व नैनीताल के गेठिया में 100-100 बेड का मानसिक चिकित्सालयों का निर्माण किया जा रहा है। केंद्र सरकार के सहयोग से उत्तरकाशी, गोपेश्वर, बागेश्वर व रुड़की में 200 बेड का क्रिटिकल केयर ब्लॉक, हल्द्वानी के मोतीनगर व नैनीताल में 50-50 बेड का क्रिटिकल ब्लॉक तैयार किए जा रहे हैं।
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया राज्य गठन के समय शिशु मृत्यु दर 52 प्रति हजार थी, जो अब घटकर 20 रह गई है। एसआरएस 2023 रिपोर्ट के अनुसार सकल प्रजनन दर भी 3.3 से घटकर 1.7 हो गई है। प्रदेश के 13 जिलों में अब तक 1985 आयुष्मान आरोग्य मंदिर (हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर) स्थापित किए जा चुके हैं। इन केंद्रों से हर वर्ष 34 लाख से अधिक लोग स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ ले रहे हैं। बीते तीन वर्षों में 28.8 लाख लोगों की हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की जांच, 28.4 लाख लोगों के मुख कैंसर, और 13.1 लाख महिलाओं के स्तन कैंसर की स्क्रीनिंग की गई।सरकार का लक्ष्य है कि राज्य का हर नागरिक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ सके। हमने स्वास्थ्य सेवाओं को अंतिम छोर तक पहुंचाने के लिए एनएचएम को एक मजबूत स्तंभ के रूप में कार्यरत किया है। प्रदेश में मातृ और शिशु मृत्यु दर ऐतिहासिक रूप से घटी है, संस्थागत प्रसव की दर में वृद्धि हुई है। आने वाले वर्षों में उत्तराखंड देश के सबसे स्वस्थ राज्यों में शामिल होगा और हमारी नीतियां जनसेवा की नई दिशा तय करेंगी। – पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री







