मानसून सीजन में बाघ और तेंदुए की दहाड़ तो शांत हो जाती है लेकिन खामोश खतरा यानी सांप इंसानों की जान पर भारी पड़ रहा है। विभागीय आंकड़ों की मानें तो छह वर्षों में बाघ और तेंदुए से ज्यादा सांप के हमलों में लोगों ने अपनी जान गंवाई है।तराई पूर्वी वन प्रभाग का दायरा चंपावत तक है। सबसे ज्यादा जंगल वाले इस प्रभाग में मानसून के दौरान वन्यजीवों के हमले तो घट जाते हैं लेकिन खामोशी से रेंगने वाला सांप इंसानों के लिए खतरा बन जाते हैं। बीते छह वर्षों में मानसून सीजन के दौरान बाघ के हमले से ज्यादा मौतें सर्पदंश से हुई हैं। जंगल के अन्य खूंखार जानवरों ने इन छह वर्षों में जहां 35 लोगों की जान ली है, वहीं सांप के काटने से 48 लोगों की मौत हुई है।
विभाग कर रहा जागरूक
तराई पूर्वी वन प्रभाग के सभी रेंजर अपने-अपने क्षेत्र के गांवों में लोगों को जागरूक कर रहे हैं। बरसात के समय सतर्कता बरतते हुए नियमित कार्य निपटाने का सुझाव दिया है। मानसून सीजन में जंगल में सांप के डसने से मौत के मामले भी बढ़ जाते हैं। छह वर्षो में जितने लोग अन्य जानवरों के हमले में मारे गए, उससे कहीं ज्यादा मौतें सर्पदंश से हुई हैं। वनकर्मियों को एंटी स्नेक वेनम सिरम की 100 डोज उपलब्ध कराई गई हैं। सतर्कता बरतने के निर्देश भी दिए हैं। – हिमांशु बागरी, डीएफओ तराई पूर्वी