रुद्रपुर। कुमाऊं में बन रहा पहला एम्स सेटेलाइट सेंटर का सपना देख रहे लोगों को अभी और इंतजार करना पड़ेगा। दावा था कि वर्ष 2025 तक इसका काम पूरा कर दिया जाएगा। मगर हकीकत ये है कि अभी एम्स सेटेलाइट सेंटर काम काम 50 प्रतिशत अधूरा है। दो महीने में काम पूरा कर पाना बड़ी चुनौती होगी।किच्छा के खुरपिया फार्म में 110 एकड़ जमीन पर 500 करोड़ रुपये की लागत से एम्स सेटेलाइट सेंटर बनाया जा रहा है, जिसका शिलान्यास नवंबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। यह एम्स ऋषिकेश के अधीन होगा। वर्ष 2024 में सीएम पुष्कर सिंह धामी के समक्ष कार्यदायी संस्था ने दावा किया था कि वर्ष 2025 तक निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। शनिवार को अमर उजाला टीम ने निर्माणाधीन एम्स सेटेलाइट सेंटर की पड़ताल की तो संस्था के अधीन काम करने वाले कर्मचारियों ने बताया कि अभी 50 प्रतिशत काम पूरा हुआ है। 50 प्रतिशत काम और होने में करीब डेढ़ से दो साल लगेंगे। हल्द्वानी रोड पर बन रहे एम्स सेटेलाइट सेंटर में सड़क के एक और कर्मचारियों के लिए बहुमंजिला इमारत बन रही है। जबकि दूसरी ओर अस्पताल का निर्माणाधीन ढांचा। निर्माणाधीन संस्था ने निर्माण के नाम पर अस्पताल के भवन के लिए तीन से चार मंजिला कॉलम खड़े कर दिए हैं। जिसमें छत समेत कई अन्य काम होने बाकी है। अस्तित्व में आने पर अस्पताल को अभी कितना समय लगेगा यह तो समय बताएगा।
मिलेंगी ये सुविधाएं
यह एक अत्याधुनिक अस्पताल होगा। इसे बनाने का उद्देश्य कुमाऊं और तराई क्षेत्र के लोगों को बेहतर और स्थानीय स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। एम्स सेटेलाइट सेंटर में आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं, आईसीयू, ओपीडी, और आईपी जैसी कई सुविधाएं मिलेंगी।
280 होगी बेड की संख्या
किच्छा के निर्माणाधीन एम्स अस्पताल में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मानकों के अनुसार 280 बेड होंगे। इस अस्पताल में मरीजों के इलाज के लिए सभी सुविधाएं एक ही छत के नीचे उपलब्ध होंगी। यहां पर जांच के उपरांत मरीजों को ऋषिकेश ले जाया जा सकेगा।
कोट- एम्स सेटेलाइट सेंटर काम काम चल रहा है लेकिन काम की गति धीमी है। जितनी जल्दी काम पूरा हो जाएगा उतनी जल्दी जनता को इसका लाभ मिलेगा। – तिलकराज बेहड़, विधायक किच्छा।