Sunday, September 21, 2025
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उत्तराखंड में शुरू की ताबड़तोड़ छापेमारी जांच रिपोर्ट को लेकर संशय तिरुपति प्रसादम विवाद के बाद एक्शन में एफडीए

देहरादून। तिरुपति बालाजी मंदिर में श्रद्धालुओं को दिए जाने वाला लड्डू के प्रसाद में मिलावट का मामला सामने आया है। इसके बाद से ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देशभर के सभी राज्यों को मिलावटी खाद्य पदार्थों के खिलाफ अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत खासकर मिठाई की दुकानों में बनाए जा रहे लड्डू, तमाम कंपनियों की ओर से बनाए जा रहे घी और मक्खन की जांच करने के निर्देश दिये गये हैं। जिसके बाद उत्तराखंड खाद्य संरक्षण विभाग भी अलर्ट हो गया। ऐसे में में फूड इंस्पेक्टर, प्रदेश भर में मिठाई की दुकानों पर छापेमारी कर लड्डू के सैंपल, तमाम कंपनियों की बाजारों में बिक रही घी और मक्खन के सैंपल ले रहे हैं।

उत्तराखंड में मात्र एक टेस्टिंग लैब। उत्तराखंड में फिलहाल एक ही टेस्टिंग लैब है जो की रुद्रपुर में स्थित है। जहां पूरे प्रदेश भर से खाद्य पदार्थ के सैंपल की जांच की जाती है। रुद्रपुर में साल 2010 में राज्य खाद एवं औषधि विश्लेषणशाला की स्थापना की गई थी। करीब 8 सालों तक ये लैब बिना एनएबीएल सर्टिफिकेशन के ही संचालित होती रही. इसके बाद साल 2018 में लैब को दुग्ध पदार्थ की जांच के लिए एनएबीएल (National Accreditation Board for Testing and Calibration Laboratories) सर्टिफिकेट दिया गया। इसके बाद साल 2023 में लैब को तेल वास दलों और मसाले की जांच के लिए एनएबीएल सर्टिफिकेट दिया गया। इस लैब की जांच क्षमता सालाना 3000 सैंपल्स की है।

सैंपल्स रिपोर्ट आने में लग जाते हैं महीनों। सैंपलों की जांच रिपोर्ट 14 दिन में देने का नियम है, लेकिन सैंपलों की जांच रिपोर्ट आने में 2 से 3 महीने का उसे वक्त लग जाता है। ऐसे में भले ही खाद्य संरक्षा विभाग के अधिकारी प्रदेश भर में ताबड़तोड़ छापेमारी की कार्रवाई कर मिठाइयों और घी का सैंपल ले रहे हो। लेकिन जब तक सैंपल का टेस्ट रिपोर्ट आता है तब तक मिठाइयों और घी का इस्तेमाल हो चुका होता है। अमूमन तौर पर खाद्य पदार्थों से संबंधित जो भी सैंपल लिए जाते हैं, उन सैंपल की जांच रिपोर्ट आने में दो से तीन महीने का वक्त लग जाता है। जिसके चलते न सिर्फ मिलावटखोरों को खुली छूट मिल जाती है बल्कि सैंपल जांच रिपोर्ट आने तक लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो चुका होता है।

खाद्य विभाग ने गठित की टीम, तेज हुई छापेमारी। ये टीम घी, मिल्क और मक्खन से बने खाद्य पदार्थों की जांच प्रॉपर तरीके से कर रही है। उन्होंने कहा लड्डू के साथ ही अन्य मिठाइयों के भी सैंपल लिए जा रहे हैं। कुछ दिनों में त्योहारी सीजन शुरू हो रहा । जिसके चलते अन्य राज्यों से भी खाद्य पदार्थों की सप्लाई होती है। इसके लिए टीम गठित की गई है, जो इन सभी चीजों पर नजर बनाये हुए हैं।

त्योहारी सीजन से पहले एक्शन में खाद्य विभाग। सभी खाद्य इंस्पेक्टर को इस बाबत निर्देश दिए गए हैं कि अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर सैंपल एकत्र करने की कार्रवाई करें। उन्होंने कहा ये लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। जो त्योहारी सीजन से पहले ही शुरू कर दी गई है। इसके साथ ही लोगों की शिकायतों के आधार पर भी जांच की कार्रवाई की जा रही है। इसके अलावा स्कूल- कॉलेज के किचन में भी चेकिंग की जा रही है।

चारधाम यात्रा मार्गों पर हो रही छापेमारी। उत्तराखंड चारधाम की यात्रा शुरू होने के दौरान एफडीए की ओर से वृहद स्तर पर अभियान चलाया था। तब चारधाम यात्रा मार्गो पर मौजूद होटल, ढाबों, रेस्टोरेंट में छापेमारी कर खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और साफ सफाई व्यवस्था को जांचा गया था। लेकिन कुछ समय बाद यह छापेमारी की कार्रवाई सुस्त पड़ गई। जिसके सवाल पर अपर आयुक्त ने कहा वर्तमान समय में रेगुलर बेसिस पर अभियान चलाया जा रहा है। हाल ही में हरिद्वार, देहरादून, हल्द्वानी में जांच की कार्यवाही की गई है। ऐसे में टीम को जांच के लिए पर्वतीय क्षेत्रों में भेजा गया है। खाद्य संरक्षा विभाग की ओर से खाद्य पदार्थों में मिलावट के संदेह के आधार पर सैंपल तो ले लिया जाता है लेकिन सैंपल की जांच रिपोर्ट आने में एक लंबा वक्त बीत जाता है। इस पर अपर आयुक्त ने कहा पहले इस तरह की समस्याएं देखी जा रही थी लेकिन आज के समय में अच्छी लैब मौजूद हैं। ऐसे में 10 से 15 दिन के भीतर सैंपल की जांच कर रिपोर्ट मंगवा ली जाती है. जिसके बाद रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाती है।

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