जिस दिन साइबर हमला हुआ उस उस दिन गांधी जयंती की छुट्टी थी। माना जा रहा है कि अगर कार्यदिवस होता तो साइबर हमले का यह स्वरूप और भी बड़ा हो सकता था। हैकर्स सैकड़ों वर्चुअल मशीन (वीएम) को अपने कंट्रोल में लेकर उनमें बदलाव कर सकते थे। जब सीसीटीएनएस का डाटा रेप्लिकेशन का नंबर आया तो इससे पहले 150 से अधिक वीएम का काम किया जा चुका था। लेकिन, सीसीटीएनएस में मालवेयर पकड़ में आया और समय रहते ही सब वीएम बंद कर कर स्कैनिंग शुरू कर दी गई। गांधी जयंती पर सभी विभागों की छुट्टी थी। लेकिन, थानों में काम हो रहा था। यानी सीसीटीएनएस पर बदस्तूर काम किया जा रहा था। इस बीच 2.45 बजे एक थाने से शिकायत आई कि सीसीटीएनएस चल नहीं रहा है। इसके बाद सीसीटीएनएस मुख्यालय में बैठे अधिकारियों ने इसकी पड़ताल शुरू की। तब पता चला कि पूरा सर्वर ही किसी संदिग्ध खतरे से प्रभावित हो गया है। देखते ही देखते सभी वर्चुअल मशीनों को बंद करा दिया गया। जब यह हमला हुआ उस वक्ता डाटा रेप्लिकेशन का काम हो रहा था। इससे पहले 150 से ज्यादा वीएम का डाटा रेप्लिकेशन किया जा चुका था।
छुट्टी होने के चलते ही इस साइबर हमले से प्रभाव कम हुआ।
जब सीसीटीएनएस की बारी आई तो मालवेयर का पता चल गया। सूत्रों के मुताबिक मालवेयर से अन्य वीएम के प्रभावित होने की भी आशंका है। अभी केवल सीसीटीएनएस के डाटा के बारे में बात कही जा रही है। ऐसे में अगर दूसरी वीएम की पड़ताल की जाएगी तो वहां भी बड़ा खतरा हो सकता था। अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक छुट्टी होने के चलते ही इस साइबर हमले से प्रभाव कम हुआ। यदि सभी विभागों में काम हो रहा होता तो इससे बड़ा नुकसान होने की भी संभावना थी।
एनसीआरबी से मिल जाएगा सीसीटीएनएस का डाटा
सीसीटीएनएस का एक दिन का डाटा गायब बताया जा रहा है। लेकिन, पुलिस अधिकारी इसे फिलहाल खतरे की बात नहीं बता रहे हैं। अधिकारियों के मुताबिक सीसीटीएनएस का डाटा एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) के डाटा सेंटर से मिल जाएगा। बताया जा रहा है कि एफआईआर को रिकवर कर लिया गया है। जबकि, चार्जशीट व अन्य डाटा की बात है तो इसके लिए टीमें जुटी हुई हैं।