Sunday, September 21, 2025
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आसन झील पर लौटने लगे विदेशी परिंदे

आसन संरक्षण रिजर्व कई दुर्लभ और लुप्त प्राय प्रजातियों का घर है। यह प्रवासी पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण शीतकालीन आश्रय स्थल भी है। सैलानियों के साथ ही पक्षी प्रेमी लगातार यहां पहुंच रहे थे । यह क्षेत्र करीब 444.4 हेक्टेयर में फैला हुआ है। यह उत्तराखंड का पहला रामसर साइट भी है। वर्ष 2005 में इसे संरक्षण रिजर्व घोषित किया गया था। अक्तूबर में ठंड की दस्तक के साथ ही यहां मध्य एशिया समेत चीन, रूस, साइबेरिया आदि इलाकों से पक्षी प्रवास पर पहुंचते हैं। वन दारोगा और बर्ड वांचिंग एक्सपर्ट प्रदीप सक्सेना ने बताया कि अब झील में सिर्फ सुर्खाब ही कुछ संख्या में शेष हैं, जो गर्मी बढ़ने के साथ ही लौट जाएंगे। पक्षियों के लौटने से आसन झील फिर से सुनसान हो गई है। इस साल अक्तूबर में सर्दी की दस्तक के साथ ही फिर से विदेशी परिंदे लौटेंगे।

ये विदेशी मेहमान पहुंचे थे प्रवास पर
इस साल आसन झील में सुर्खाब समेत कॉमन पोचार्ड, रेड क्रिस्टेड पोचार्ड, गेडवॉल, मलाड, फैरी ज्यूनस, हीरोशियन विजन, नार्दन सावलर, कामन कूट, टफटैड, नार्दन पिंटेल, ग्रैलैग गीज आदि प्रजाति के पक्षी पहुंचे थे।

प्लाश फिश ईगल के जोड़ों ने नहीं की नेस्टिंग
इस साल भी प्लाश फिश ईगल के जोड़े ने आसन झील में नेस्टिंग और ब्रीडिंग नहीं की। अंतिम बार वर्ष 2015-16 में सेमल के पेड़ पर जोड़े ने घोंसला बनाकर ब्रीडिंग की थी। प्लाश फिश ईगल मध्य एशिया के देशों चीन, साइबेरिया, रुस आदि से मीलों का सफर तय कर आसन झील पहुंचता है। बीते साल भी जोड़े ने यहां दस्तक दी थी, लेकिन नेस्टिंग नहीं की। डीएफओ चकराता वन प्रभाग मयंक शेखर झा ने कहा कि बीते साल करीब 4500 पक्षी प्रवास पर पहुंचे थे। इनकी संख्या बढ़ना यहां की जैव विविधता का परिचायक है, जो कि पर्यावरण के लिए अच्छे संकेत हैं।

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