शीशमबाड़ा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयत्र में जमा कूड़े के पहाड़ ने आसपास के लोगों का जीना मुहाल कर दिया। दुर्गंध के चलते आसपास के क्षेत्र के लोग खुलकर सांस भी नहीं ले पा रहे हैं। हर घर में लोग आए दिन बीमार पड़ रहे हैं। प्रशासन ने कूड़े के निस्तारण के लिए डेडलाइन तो तय कर दी। लेकिन कूड़ा निस्तारण कंपनियां अब भी कूड़े को एक दूसरे का बताकर अपना पल्ला झाड़ रही है।पछवादून संयुक्त समिति और स्थानीय लोगों का दो टूक कहना है कि कूड़ा कितना है किसका है, इससे उन्हें मतलब नहीं है। लोगों का कहना है किसी भी हालत में संयंत्र अन्यत्र शिफ्ट होना चाहिए। ऐसा न होने पर स्थानीय लोगों ने बड़े आंदोलन की चेतावनी भी दी है।डीएम सविन बंसल ने शीशमबाड़ा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र में कूड़ा निस्तारण में लापरवाही को लेकर नगर निगम को नए टेंडर निकालने के निर्देश दिए हैं। कंपनियों को भी समयबद्ध ढंग से कूड़ा निस्तारण न करने पर जमानत धनराशि जब्त करने की चेतावनी दी है। लेकिन, फिलहाल इसका असर कंपनियों पर पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है।
कंपनियों कूड़े को एक दूसरे का बताकर अपनी जिम्मेदारी से पीछा छुड़ा रही है। वहीं, डीएम का कहना है कि संयंत्र में 10 लाख मीट्रिक टन कूड़ा जमा है। जबकि, कंपनियां डीएम के दावे को झुठलाते हुए संयंत्र में केवल साढ़े चार मीट्रिक टन पुराना और 30 हजार मीट्रिक टन नया कूड़ा जमा होने का दावा कर रही है। वहीं, कंपनियां समय पर भुगतान न होने, क्षमता से अधिक कूड़ा आने और जरूरत के अनुसार मशीनरी उपलब्ध न होने जैसी दलीलें देकर उन्हें अपने बचाव की ढाल बना रही है।करीब आठ साल से कूड़े की दुर्गंध और गंदगी से परेशान जनता प्रशासन की कोरी फटकार और कंपनियों की बचाव की दलीलें सुनने के मूड में नहीं है। संयंत्र से सटे हिमगिरी विश्वविद्यालय, शिवालिक कॉलेज, आर्मी कॉलोनी, बायाखाला, सिंघनीवाला, थापा गली, प्रगति विहार के लोगों और छात्रों का कहना है कि दुर्गंध के चलते वह खुलकर सांस भी नहीं ले पाते हैं। लोगों का कहना है कि बरसात में तो पांच किलोमीटर तक दुर्गंध फैल जाती है।लोग संक्रमणजनित बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। गंदगी और दुर्गंध के कारण क्षेत्र में व्यापार ठप हो गया है। लोग क्षेत्र में किराये पर कमरे तक नहीं ले रहे हैं। जिन लोगों ने क्षेत्र में मकान बनाए हैं उन्हें कोई खरीदने के लिए भी तैयार नहीं है।
एनजीटी ने भी दिया था कहीं और उच्चस्तरीय संयंत्र बनाने का सुझाव
पछवादून संयुक्त समिति के पदाधिकारियों के मुताबिक राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने मामले की सुनवाई के दौरान नगर निगम को अन्यत्र कहीं उच्चतरीय सुविधा युक्त ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र बनाने की सलाह दी थी। एनजीटी ने यह बात देहरादून से निकलने वाले दैनिक कूड़े की भारी मात्रा और मौजूदा संयंत्र में विस्तार के भूमि उपलब्धता की कमी को देखते हुए कहा था। पदाधिकारी बताते हैं कि एनजीटी ने देहरादून से बिहारी गढ़ और देहरादून से हरिद्वार रोड के मध्य वन विभाग से सामांजस्य स्थापित कर संयंत्र बनाने का सुझाव दिया था। लेकिन, ऐसा हो न सका।
डीएम केवल पांच मिनट के लिए संयंत्र के निरीक्षण के लिए आए थे। संयंत्र में डीएम के मुताबिक 10 लाख मीट्रिक टन कूड़ा है। कूड़े के पहाड़ से स्थानीय जनता पीड़ित है। कई लोग बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। सरकार और निगम को पर्याप्त समय दिया गया था। अगर, संयंत्र को अन्यत्र शिफ्ट करने के लिए ठोस कदम नहीं उठा गए तो स्थानीय लोग बड़े आंदोलन से समस्या को दूर करेंगे। – राज गंगसारी, सचिव, पछुवादून संयुक्त समिति
संयंत्र में जमा गंदगी और दुर्गंध से क्षेत्र के लोग बीमार प़ड़ रहे हैं। लोगों को सांस के रोग और अन्य बीमारियों भी हो रही है। संयंत्र को दूसरी जगह शिफ्ट करना चाहिए। – प्रेमपाल, स्थानीय निवासी
शीशमबाड़ा में कूड़े का पहाड़ सबसे बड़ी समस्या बन गया है। समस्या धीरे-धीरे और बढ़ रही है। क्षेत्र का वातावरण प्रदूषित हो रहा है। आसपास स्कूल कॉलेज के छात्र जाने कैसे रह रहे हैं। बरसात के दिनों में पांच किलोमीटर के दायरे में दुर्घंध उठती है। – मुकेश गुप्ता, स्थानी निवासी
संयंत्र में कूड़े से उठने वाली दुर्गंध से सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। मेरे होटल में लोग बदबू के चलते खाना भी खाते हैं। स्कूल और कॉलेज के बच्चों को गंदगी और दुर्गंध से दिक्कत होती है। व्यापार ठप हो गया है। लोगों क्षेत्र में किराये पर कमरे नहीं ले रहे हैं। – भुवन चंद भट्ट, व्यापारी
दिनभर संयंत्र से बदबू आती है। सांस लेने में दिक्कत होती है। लोग क्षेत्र में मुंह ढककर गुजरते हैं। बड़ी दिक्कत हो रही है। आखिर करें भी तो या करें। गंदगी और दुर्गंध से बहुत परेशानी हैं। – दिलशाना स्थनीय निवासी
नया कूड़ा 25 से 30 हजार मीट्रिक टन से अधिक नहीं है। शुरूआत के छह महीने में पर्याप्त संसाधन नहीं मिले। मशीन भी कम थी। नई मशीन दी नहीं गई। अगले महीने तक नई मशीनें आ जाएंगी। चार महीने में नए कूड़े का निस्तारण कर लिया जाएगा। साढ़े चार मीट्रिक टन पुराना कूड़ा है। यह दूसरी कंपनी का कूड़ा है। निगम किसी नई कंपनी को काम दे रहा है। जब, तक नई कंपनी नहीं आती हम काम कर रहे हैं। – नवीन तिवारी, प्रबंधक, शीशमबाड़ा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र