Sunday, September 21, 2025
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26 नवंबर से भूख हड़ताल पर बैठेंगे मोहित डिमरी: भूमि कानून और मूल निवास की परिभाषा तय करने की मांग

संघर्ष समिति ने किया निर्णायक आंदोलन का ऐलान, विभिन्न संगठनों का समर्थन

देहरादून। मूल निवास और भूमि कानून को लेकर लंबे समय से आंदोलनरत मूल निवास-भू-कानून संघर्ष समिति ने अब निर्णायक लड़ाई का ऐलान कर दिया है। संविधान दिवस के अवसर पर 26 नवंबर से समिति के संयोजक मोहित डिमरी भूख हड़ताल पर बैठेंगे। यह हड़ताल देहरादून के शहीद स्मारक पर आयोजित की जाएगी।

शहीद स्मारक में आयोजित समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया कि 26 नवंबर से पहले सरकार 2018 के बाद भूमि कानून में किए गए संशोधनों को रद्द करे। इसके साथ ही, भूमि कानून का ड्राफ्ट सार्वजनिक करने और धारा 2 को हटाने की मांग की गई है। समिति का कहना है कि इस धारा के चलते गांवों की कृषि भूमि तेजी से खत्म हो रही है।

एक समान भूमि कानून और मूल निवास पर स्पष्टता की मांग
संघर्ष समिति का कहना है कि पूरे उत्तराखंड में एक समान भू-कानून होना चाहिए। वर्तमान में शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में अलग-अलग कानून लागू हैं, जिससे असंतोष बढ़ रहा है। समिति ने मूल निवास की स्पष्ट परिभाषा तय करने और यूसीसी के तहत एक साल से रह रहे लोगों को स्थायी निवासी मानने के निर्णय को वापस लेने की मांग की है।

विभिन्न संगठनों का समर्थन
बैठक में कई राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने इस आंदोलन का समर्थन किया। राज्य आंदोलनकारी और पूर्व सैन्य अधिकारी पीसी थपलियाल ने कहा कि उत्तराखंड की अस्मिता को बचाने की इस लड़ाई में सभी को आगे आना होगा। उन्होंने इसे “करो या मरो” की स्थिति करार दिया।

समानता पार्टी के महासचिव एलपी रतूड़ी, सुरेंद्र सिंह नेगी, और महेश सिंह मेहता ने कहा कि संघर्ष समिति लंबे समय से सड़क पर लड़ाई लड़ रही है और जनता इस आंदोलन के साथ खड़ी है।

वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने भू-कानून और मूल निवास की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार को उत्तराखंड की जनता के हित में जल्द फैसला लेना चाहिए।

महिला संगठनों और अन्य दलों की भागीदारी
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी की महिला अध्यक्ष सुलोचना इष्टवाल ने कहा कि यह संघर्ष उत्तराखंड के भविष्य से जुड़ा हुआ है और इसे निर्णायक मोड़ तक ले जाना जरूरी है।

सुराज सेवा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश जोशी, उपनल कर्मचारी संगठन के संयोजक विनोद गोदियाल, और धाद संस्था के सचिव तन्मय ममगाई ने आंदोलन को मजबूत बनाने में जनता की भागीदारी को अहम बताया।

सरकार को दिया अल्टीमेटम
बैठक में कहा गया कि सरकार को 26 नवंबर से पहले कैबिनेट बैठक बुलाकर अध्यादेश के जरिए संशोधनों को रद्द करना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर आंदोलन को और व्यापक किया जाएगा।

प्रमुख उपस्थित लोग
इस बैठक में संघर्ष समिति के सह संयोजक लुशुन टोडरिया, सचिव प्रांजल नौडियाल, और अन्य सदस्य दिनेश भंडारी, हिमांशु धामी, विनय प्रसाद, विभोर जुयाल समेत कई प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता और संगठन मौजूद थे।

संघर्ष समिति ने कहा कि जनता के सहयोग से यह लड़ाई उत्तराखंड की अस्मिता और संसाधनों को बचाने के लिए निर्णायक साबित होगी।

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