सुशीला तिवारी अस्पताल में जानलेवा हेपेटाइटिस बी और सी बीमारी की दवाएं खत्म हो गई हैं। यह दवाएं भारत सरकार की ओर से प्रत्येक जिले के लिए आती हैं। दूरस्थ पिथौरागढ़ से लेकर मैदानी जिलों से भी बड़ी संख्या में मरीज सुशीला तिवारी अस्पताल में हेपेटाइटिस की बीमारी की दवा लेने पहुंचते हैं। शुक्रवार को भी एक घंटे के भीतर करीब आठ से 10 लोग बगैर दवा के वापस लौटे। इधर मेडिसिन विभाग ने करीब 400 मरीजों की दवाओं की मांग स्वास्थ्य विभाग से की है।
सुशीला तिवारी अस्पताल के दवा वितरण केंद्र में हेपेटाइटिस की चार प्रमुख दवाओं में दो दवाएं पिछले 10 दिन से नहीं है। दरअसल, हेपेटाइटिस की दवा सरकार की ओर से प्रत्येक जिले के लिए आती है। फिर जिले में स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से अस्पताल को मांग के अनुसार उपलब्ध कराई जाती है। मेडिसिन विभाग के नोडल ऑफिसर डॉ. सुभाष जोशी ने बताया कि करीब पांच हजार गोलियों की डिमांड की गई है।
मैदानी इलाकों के मरीज पहुंचते हैं सबसे ज्यादा
हेपेटाइटिस की दवा लेने सबसे ज्यादा रुद्रपुर, बाजपुर मैदानी इलाकों के मरीज यहां पहुंचते हैं। पिथौरागढ़, थल, बेरीनाग, चंपावत आदि दूरस्थ जिलों से पहुंचने वाले रोगियों को कई बार निराश होना पड़ता है। मरीजों का यह भी कहना है कि पर्वतीय जिलों से आने वाले मरीजों को अक्सर यहां दवा मिलने में दिक्कत आती है।
टीबी की दवा भी हो चुकी खत्म
सुशीला तिवारी अस्पताल में टीबी के मरीजों की दवा भी लगभग 12-15 दिनों से नहीं है, जबकि मरीजों को नियमित दवा लेनी पड़ती है। दवा नहीं होने से भर्ती मरीजों के अलावा बाहर से दवा लेने वाले मरीजों को भी काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। यह दवा राज्य सरकार से आती है। यहां से आर्डर जा चुका है। स्टेट से जानकारी दी गई कि केंद्र से दवा जल्द आने की उम्मीद है। – डा. श्वेता भंडारी, सीएमओ, नैनीताल