देहरादून, 24 नवंबर: उत्तराखंड में सड़क हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं, जिससे प्रदेश की सरकार और पुलिस व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। एक और दर्दनाक हादसे में उत्तराखंड के वरिष्ठ नेता और राज्य निर्माण आंदोलन के जुझारू योद्धा त्रिवेंद्र सिंह पंवार का असमय निधन हो गया। उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) के पूर्व अध्यक्ष और जनहित के मुद्दों पर मुखर रहने वाले पंवार की मृत्यु ने प्रदेश को शोक में डुबो दिया है।
राज्य की राजनीति को अपूरणीय क्षति
त्रिवेंद्र सिंह पंवार के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने इसे उत्तराखंड की जमीनी राजनीति के लिए एक अपूरणीय क्षति बताया। उन्होंने कहा, “त्रिवेंद्र पंवार केवल एक नेता नहीं, बल्कि राज्य के हितों के लिए हमेशा संघर्षरत एक आंदोलनकारी थे। उनका असमय निधन न केवल व्यक्तिगत हानि है, बल्कि यह पूरे राज्य के लिए चेतावनी है कि हमारी सड़कों की खतरनाक स्थिति पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है।”
सरकार और प्रशासन पर सवाल
सूर्यकांत धस्माना ने प्रदेश में बढ़ते सड़क हादसों पर सरकार और पुलिस प्रशासन को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने तीखे शब्दों में कहा, “उत्तराखंड में सड़क हादसे अब हत्या का पर्याय बन चुके हैं। यह सरकार और पुलिस की घोर नाकामी है कि निर्दोष लोगों को लगातार अपनी जान गंवानी पड़ रही है। हर हादसे के बाद केवल आश्वासन दिए जाते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि सरकारी दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं।”
सड़क सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग
धस्माना ने राज्य सरकार से सड़क सुरक्षा के लिए तत्काल ठोस कदम उठाने की मांग की। उन्होंने कहा कि हादसों को रोकने के लिए केवल घोषणाओं से काम नहीं चलेगा, बल्कि सख्त नीतियां बनाकर उनके प्रभावी क्रियान्वयन की आवश्यकता है।
राज्य को झकझोर देने वाला हादसा
त्रिवेंद्र सिंह पंवार की मृत्यु ने न केवल सरकार की लापरवाही को उजागर किया है, बल्कि प्रदेशवासियों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि सड़क हादसों पर कब प्रभावी नियंत्रण होगा। यह हादसा उत्तराखंड की राजनीति और आंदोलनकारी भावना के लिए एक बड़ी क्षति है।