Monday, September 22, 2025
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पांच रुपये में आसानी से खरीद सकते हैं चीनी मांझे दून की गलियों में भी मिलता है मौत का अदृश्य सामान

दून की गलियों में भी मौत का अदृश्य सामान मिलता है। इसे पांच रुपये में 15 मीटर आसानी से गली मोहल्लों की दुकान से खरीदा जा सकता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं उसी अदृश्य मौत के सामान चीनी मांझे की, जिससे कटकर पिछले दिनों हरिद्वार के एक हाइड्रा चालक की मौत हुई। पूरे प्रदेश में यह मामला सुर्खियों में रहा।साथ ही चर्चा हुई कि क्या ये वाकई प्रतिबंध के बावजूद धड़ल्ले से बिक रहा है? हरिद्वार में एक साथ सैकड़ों पेटियां मांझे की बरामद की गईं, लेकिन, इसका क्या व्यापक असर पड़ा? ये जानने के लिए सोमवार को अमर उजाला की टीम बाजारों में उतरी।

पूरे प्रदेश में यह मामला सुर्खियों में रहा
गोपनीय तरीके से पड़ताल करने पर पता चला कि यहां थोक के व्यापारी तो इसे बेचने के परिणाम से वाकिफ हैं, लेकिन गली मोहल्ले के कुछ दुकानदार इस मांझे की तारीफ कर इसे बेच रहे हैं। एक दुकानदार ने तो यहां तक बताया कि ये मांझा देहरादून में काफी समय पहले बंद हो गया था। मगर विशेष मांग पर इसे सहारनपुर से मंगाया जाता है। इससे इस बात को बल मिलता है कि गली मोहल्लों की इन दुकानों पर यह मौत का अदृश्य सामान आराम से खरीदा जा सकता है।दून की गलियों में भी मौत का अदृश्य सामान मिलता है। इसे पांच रुपये में 15 मीटर आसानी से गली मोहल्लों की दुकान से खरीदा जा सकता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं उसी अदृश्य मौत के सामान चीनी मांझे की, जिससे कटकर पिछले दिनों हरिद्वार के एक हाइड्रा चालक की मौत हुई। पूरे प्रदेश में यह मामला सुर्खियों में रहा।

दून के थोक विक्रेता नहीं बेचते
धामावाला स्थित एक थोक की दुकान पर रिपोर्टर पहुंचे थे। यहां उनसे थोक के भाव पतंग और मांझे की बात हुई। शुरुआत पतंग के दामों से हुई तो उन्होंने तमाम किस्म की पतंगें दिखाईं। इसके बाद बात जब मांझे की हुई तो शुरुआत में ही बोल दिया कि यहां सिर्फ इंडियन मांझा मिलता है। पूछा कि चीनी मांझा मिलेगा क्या? जवाब मिला, नहीं भाई जमानत भी नहीं मिलती। ले जाना है तो इंडियन ले जाओ। 30 रुपये से लेकर 650 रुपये तक की रील है। यही बेच रहे हैं। प्रतिबंध के बाद से ही हमने चीनी मांझा बेचना बंद कर दिया था।

एसपी के सख्त आदेश हैं
यहां पर पॉलिथीन और कागज से बनी पतंगों के दाम से बात शुरू हुई। यहां 300 रुपये से लेकर 100 रुपये सैकड़ा तक की पतंगे बेची जा रही थीं, लेकिन जब मांझे पर बात हुई तो उन्होंने सीधे कहा कि अमर उजाला नहीं पढ़ते क्या? रोज उसमें जागरूकता के संबंध में कुछ न कुछ लिखा जा रहा है। हरिद्वार में एक बच्चा मरा है, उसके बारे में भी नहीं पता। भाई एसपी ने तगड़ी सख्ती की हुई है। पांच लाख रुपये जुर्माना और तीन साल की जेल है चीनी मांझा बेचने पर।

चीनी मांझा ले जाओ, इससे मजबूत तो होता ही नहीं कुछ
अब अमर उजाला की टीम उस जगह पहुंच गई थी जहां चीनी मांझा बेचने में दुकानदार को कोई परेशानी नहीं थी। उल्टा दुकानदार इसकी तारीफ करते नहीं थक रहा था। कहा कि इससे अच्छा और क्या होगा। जितना मर्जी चाहो पेंच लड़ाओ। पटेलनगर क्षेत्र के इस दुकानदार ने यह भी बताया कि ये मांझा देहरादून में कहीं नहीं मिलता। इसे सहारनपुर से मंगाया जा सकता है।यहां यह मांझा पांच रुपये का 15 मीटर बेचा गया। दुकानदार से 10 रुपये का 30 मीटर मांझा खरीदा भी गया। हालांकि, इस दुकानदार के पास ज्यादा मांझा न होने के कारण इसे फुटकर में ही थोड़ा-थोड़ा कर बेचा जा रहा था। चीनी मांझे को लेकर सभी जगह सख्त हिदायत दी गई है। इसे बेचने वाले के खिलाफ भारी जुर्माने के साथ-साथ विधिक कार्रवाई करने का प्रावधान भी है। सभी थाना प्रभारियों को इस संबंध में दिशा निर्देश जारी किए जा चुके हैं। गली मोहल्लों की दुकानों को भी चेतावनी जारी की गई है। यदि कहीं से चीनी मांझा बेचने की शिकायत मिलती है तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। – अजय सिंह, एसएसपी

तो ऐसे तैयार होता है चीनी मांझा
चीनी मांझा नायलॉन और कांच जैसी सिंथेटिक सामग्री से तैयार किया जाता है। जबकि, भारतीय मांझा चावल के आटे और मसालों जैसी प्राकृतिक सामग्री से तैयार किया जाता है। चीनी मांझा अत्यधिक पैना और मजबूत होता है। यही कारण है कि देश में कई जानलेवा हादसों के बाद वर्ष 2013 में इसे कई राज्यों में प्रतिबंधित कर दिया गया था। उत्तराखंड भी इन्हीं राज्यों में से एक है।

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