Monday, September 22, 2025
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शहर की सूरत बदलने के लिए वोट डालेंगे लोग घरों में घुसकर लोगों की नींद चुरा ले जाता है पानी

मेयर के चुनाव में अब गिनती के दिन रह गए हैं। हर प्रत्याशी कुर्सी पर बैठने के लिए बेताब है। दूसरी ओर शहर में जलभराव और अतिक्रमण जैसी लंबे समय से चली आ रहीं समस्याएं भी समाधान की राह ताक रही हैं। जनता की निगाहें शहर के नए विकास से अधिक पुरानी समस्याओं के निस्तारण पर टिकीं हैं।काशीपुर शहर की सबसे प्रमुख समस्या जलभराव है। हर साल बरसात में करीब चार महीने लोगों की मुसीबतें बढ़ीं रहती हैं। पानी उनके घरों में घुसकर नींद तक चुरा ले जाता है। निगम की अनदेखी के चलते लोगों ने नालों पर भी अतिक्रमण कर रखा है। इससे पानी निकासी की समस्या और अधिक बढ़ जाती है।निगम क्षेत्र की कई सड़कें बनने के इंतजार में वर्षों से जस की तस पड़ीं हैं। स्ट्रीट लाइट न होने से रात के समय लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। शहर में कूड़े की सफाई के लिए वाहनों की व्यवस्था तो की गई, लेकिन आज भी कई स्थानों से समय-समय पर कूड़ा नहीं उठता है। ऐसे में लोगों को दुर्गंध के बीच से गुजरना पड़ता है। वेंडिंग जोन और पार्किंग सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गईं हैं जिससे आमजन आज भी जाम से जूझने के लिए मजबूर है।

ड्रेनेज सिस्टम बने तो मिले राहत
काशीपुर नगर निगम क्षेत्र में जलभराव की समस्या लंबे समय से बनी है। बरसात में पानी घरों तक घुसने लगता है। बेहतर ड्रेनेज सिस्टम न होने से एमपी चौक, मुख्य बाजार, कटोराताल, काजीबाग, पटेल नगर, स्टेशन रोड, आर्य नगर, जसपुर खुर्द, मालवा फार्म, हेमपुर इस्माइल समेत कई कॉलोनियों में पानी घुटनों तक भर जाता है। यहां पानी निकासी के लिए लोगों को मोटर का इस्तेमाल करना पड़ता है। हर बार दुकानों में बारिश का पानी घुसने से कारोबारियों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। यहां तक कि नगर निगम कार्यालय भी जलभराव की समस्या से अछूता नहीं है।

अतिक्रमण मुक्त हो गेबिया नाला
मानपुर तिराहे से ढेला नदी तक करीब तीन किलोमीटर लंबे गेबिया नाले पर लोगों ने जगह-जगह अतिक्रमण किया है। कहीं नाले की तरफ बढ़ाकर मकान की नींव डाली गई है तो कहीं पिलर खड़े करके दीवारें बना ली गईं हैं। ऐसे में नाले की सफाई नहीं हो पाती है और गंदा पानी सड़क पर बहने लगता है। इसकी सफाई करवाने व अतिक्रमण हटवाने की जिम्मेदारी नगर निगम की है। निगम प्रशासन का कहना है कि हम बारिश से पहले सफाई तो करवा देते हैं, लेकिन अतिक्रमण हटवाना सिंचाई विभाग का काम है। ऐसे में विभागों की खींचतान में आज तक इसकी डीपीआर तक नहीं बन पाई है।

फाइलों तक रह गया वेंडिंग जोन
शहर में वेंडिंग जोन न होने के कारण सड़क किनारे जगह-जगह ठेले लगे रहते हैं। करीब तीन साल से शहर में पांच स्थानों पर वेंडिंग जोन प्रस्तावित था। इसके लिए समिति का गठन भी किया गया था। शहर में सीतापुर नेत्र चिकित्सालय के पास, डिजाइन सेंटर, पुराना ढेला पुल, कुंडेश्वरी रोड साहनी रिजॉर्ट के पास, टांडा तिराहा, मानपुर तिराहा पर वेंडिंग जोन बनना था लेकिन यह कार्य सिर्फ फाइलों तक सीमित रह गया। लोगों को आज भी अतिक्रमण मुक्त सड़कें नहीं मिलीं। इस कारण शहर जाम से जूझता है।

स्थायी पार्किंग की व्यवस्था
शहर में चौपहिया और दो पहिया वाहनों के लिए स्थायी पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में लोग तहसील परिसर के पास, रतन सिनेमा रोड, रामनगर रोड, स्टेशन रोड और बाजपुर रोड पर सड़क किनारे गाड़ियों को खड़ी करके चले जाते हैं। इससे जाम लगने लगता है। हालांकि दो वर्ष पहले रतन सिनेमा रोड पर स्थायी पार्किंग बनाने का कार्य शुरू किया गया था, लेकिन अब तक यह पूरा नहीं हो पाया है।

जर्जर सड़कों और स्ट्रीट लाइट की समस्या
शहर में 2018 में हुए परिसीमन के बाद निगम क्षेत्र में 16 ग्राम सभाओं को जोड़कर 20 नए वार्ड बनाए गए थे। ये गांव निगम से तो जुड़ गए लेकिन अब भी विकास उन तक नहीं पहुंचा। जर्जर सड़कों और स्ट्रीट लाइट की समस्या यहां आज भी बनी हुई है। हिम्मतपुर, हेमपुर इस्माइल, कचनाल गाजी, खड़कपुर देवीपुरा, नीझड़ा, आदि वार्डों में सड़कें खस्ताहाल हैं। यहां की समस्याओं का समाधान आज तक नहीं हो सका है।

क्या कहते हैं शहर के लोग
हर साल मानसून के दौरान मुख्य बाजार में जलभराव होने से दुकानों में पानी घुस जाता है। इससे लाखों का सामान खराब हो जाता है। जलभराव का मुख्य कारण बारिश के दौरान पानी निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं होना है। जब तक शहर का ड्रेनेज सिस्टम सही नहीं किया जाएगा, इससे निजात मिलनी मुश्किल है। मानसून से पहले यदि शहर के नाले-नालियों की तली झाड़ सफाई कराई जाए तो काफी हद तक इस समस्या से निजात मिल सकती है। – महेश चंद्र अग्रवाल, लोकतंत्र सेनानी

शहर का मुख्य बाजार, रतन सिनेमा रोड, तहसील रोड, पुरानी सब्जी मंडी, नई सब्जी मंडी के अलावा सभी मुख्य मार्गों पर अतिक्रमण सबसे बड़ी समस्या है। अतिक्रमण के कारण दिन में कई बार जाम लगता है। दुकानदार सड़क तक सामान सजा कर रखते हैं। खरीदार भी दुकानों के बाहर आड़े-तिरछे वाहन लगा देते हैं। पुलिस व नगर निगम प्रशासन को शहर की सड़कों को अतिक्रमणमुक्त कराना चाहिए ताकि आवागमन सुचारू रूप से चलता रहे। – सरोज अग्रवाल, घासमंडी

शहर की जलभराव की समस्या से निजात दिलाने के लिए करीब 28 करोड़ की लागत से लक्ष्मीपुर माइनर को कवर्ड तो किया जा रहा है लेकिन इससे समस्या का ठोस समाधान होना मुश्किल नजर आ रहा है। इस माइनर पर कई जगह पर काफी अतिक्रमण है, जिस कारण इसकी चौड़ाई भी कम हो चुकी है। माइनर में इतने अधिक मोड़ हैं कि यह आए दिन चोक होगी। जब तक माइनर को चौड़ा नहीं किया जाएगा, तब तक जलभराव की समस्या जस की तस रहेगी। – मदन बिष्ट, गिरीताल

शहर की सफाई व्यवस्था पटरी पर नहीं है। जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हैं। कई बार तो सुबह से दोपहर तक कूड़ा सड़कों के किनारे पड़ा रहता है। वहां लावारिस पशुओं का जमावड़ा रहता है, जो राहगीरों के लिए हादसों का कारण बनते हैं। इसके अलावा, निशुल्क पार्किंग और वेंडिंग जोन की भी बहुत जरूरत है। हाथ ठेली वाले बाजारों में इधर-उधर ठेला लगा लेते हैं, जिससे दिन में कई बार यातायात प्रभावित होता है। – राकेश कुमार सक्सेना, व्यापारी

शहर में जलभराव, पार्किंग, अतिक्रमण और सफाई व्यवस्था सुचारू नहीं होना मुख्य समस्याएं हैं। खासकर शहर में कहीं भी पार्किंग की उचित व्यवस्था नहीं है। जो निजी पार्किंग हैं, उनका लाभ बाजार में खरीदारी करने आने वालों को नहीं मिलता। इसके चलते लोग सड़क किनारे चौपहिया वाहन खड़ा कर देते हैं, जो जाम का कारण बनते हैं। शहर के मुख्य-मुख्य स्थानों पर पार्किंग की व्यवस्था करने की जरूरत है। – अंकित शर्मा, छात्र

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