राजधानी का दिल कहे जाने वाला घंटाघर बदहाली की मार झेल रहा है। यहां सौंदर्यीकरण के नाम पर लाखों का बजट खर्च हो गया, लेकिन स्थिति सुधर नहीं रही है। आलम यह है कि घंटाघर के परिसर में गंदगी फैली हुई है। देखने पर ऐसा लगता है कि मानो अरसे से यहां साफ-सफाई ही नहीं हुई है। दून के सौंदर्यीकरण की बात हो और घंटाघर का नाम न आए ऐसा हो ही नहीं सकता। लेकिन, तमाम प्रयासों के बावजूद नगर निगम घंटाघर की बदहाल स्थिति को सुधारने में कामयाब नहीं हो पा रहा है। घंटाघर की चमक फीकी दिखाई दे रही है। यहां सौंदर्यीकरण के लिए लगाए गए फव्वारों से नोजल गायब है। रंग-बिरंगी लाइटें बंद पड़ी हैं। परिसर में गंदगी फैली हुई है।
केस-1 बुद्धा चौक अरसे से फव्वारे और लाइटें बंद
सौंदर्यीकरण के नाम पर बुद्धा चौक पर फव्वारे और लाइटें लगाई गईं। इस पर खूब पैसा खर्च किया गया। लेकिन, मौजूदा समय में फव्वारे और लाइटें बंद हैं। साफ-सफाई की व्यवस्था भी बेपटरी पर है। जगह-जगह कूड़ा फैला हुआ है।
केस-2 लैंसडाउन चौक पानी के पाइप पर जम गई गंदगी
शहर के बीचोंबीच और महत्वपूर्ण स्थानों में शुमार लैंसडाउन चौक पर पानी के पाइपों पर गंदगी जम गई है। ऐसा प्रतीत होता है कि मानो अरसे से यहां सफाई ही नहीं की गई है।
केस-3 सर्वे चौक पसरती जा रही गंदगी
सर्वे चौक की स्थिति भी ठीक नहीं है। यहां के फव्वारे भी बंद हैं। साफ-सफाई नहीं होने से गंदगी का अंबार लग गया है। इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
केस-4 फव्वारा चौक बदहाली की बन रहा तस्वीर
फव्वारा चौक की व्यवस्था भी बदहाल है। तमाम प्रयासों के बावजूद यहां की सूरत नहीं बदल सकी है। फव्वारे तो अरसे से बंद पड़े ही हैं। साथ ही गंदगी भी पसरती जा रही है।