उत्तराखंड के खिलाड़ी जब बुधवार को राष्ट्रीय खेल के सेमीफाइनल मुकाबले में उतरे तो उन पर उम्मीदों का दबाव था। गोवा पर 4-1 से जीत दर्ज कर सेमी में पहुंचे लड़कों को यहां भी जीत से कम कुछ भी मंजूर न था। गौला से आतीं सर्द हवाएं भी उनके जोश को ठंडा नहीं कर पाई। जीत का जुनून ही ऐसा था कि देवलचौड़ के निर्मल को चोट लगने का अहसास तक नहीं हुआ। एतिहासिक जीत के बाद निर्मल ने कहा कि बुधवार को जब दिल्ली के खिलाफ मैदान पर उतरे तो दिमाग में जीते बिना नहीं लौटने की बात की चल रही थी। मैच के दूसरे हाफ में खिलाड़ी से टकराने के बाद उनकी आंख के ऊपर से खून बहने लगा। उस समय मैच बड़े नाजुक मोड़ पर था, ऐसे में उन्हें चोट का अहसास तक नहीं हुआ। चोटिल होने के बावजूद उन्होंने पेनल्टी शूटआउट में पहला गोल दागा। मैच के बाद उनकी पलक पर तीन टांके आए हैं। उन्होंने बताया कि शुरुआत में कप्तान ‘शंशाक राणा भी चोटिल हो गए थे मगर सब स्टिट्यूट ने बेहतर खेल दिखाया।
स्कोर बराबर होने से दर्शकों में आश्चर्य
मैच के 64वें मिनट पर तकनीकी दिक्कत के कारण बोर्ड पर स्कोर 1-1 हो गया जबकि उत्तराखंड ने तब तक एक भी गोल नहीं किया था। करीब दो मिनट तक यह स्कोर बना रहा। इससे कुछ देर के लिए दर्शक आश्चर्य में पड़ गए और हूटिंग शुरू कर दी। कुछ देर बाद स्कोर सही (1-0) कर दिया गया।
जीत के बाद छलक गए खुशी के आंसू
छह हजार से अधिक दर्शकों के बीच दो घंटे चले मुकाबले में जीत के बाद उत्तराखंड के उप कप्तान अभिषेक रावत भावुक हो गए। मैदान पर ही उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक गए। शैलेंद्र सिंह नेगी ने जीत में दर्शकों का भी बड़ा योगदान बताया।