Sunday, September 21, 2025
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कोर्ट ने लंबी जेल और दूरगामी मुकदमे का दिया हवाला मनी लॉन्ड्रिंग केस में वधावन बंधुओं को जमानत

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2020 के यस बैंक मनी लॉन्ड्रिंग केस के सिलसिले में डीएचएफएल के प्रमोटर धीरज और कपिल वधावन को जमानत दे दी। हाईकोर्ट ने कहा कि वे लंबे समय से जेल में हैं और मुकदमा जल्द शुरू होने की संभावना नहीं है। न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की एकल पीठ ने बुधवार को दोनों भाइयों को एक-एक लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दे दी। पीठ ने कहा कि दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) के प्रमोटर चार साल और नौ महीने से हिरासत में हैं और निकट भविष्य में मुकदमा शुरू होने की कोई संभावना नहीं है।हाईकोर्ट ने कहा, ‘एक विचाराधीन कैदी को इतनी लंबी अवधि तक हिरासत में रखना संविधान के अनुच्छेद 21 से प्राप्त त्वरित सुनवाई के उसके मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।’ अदालत ने कहा, ‘मेरी राय में, आवेदकों (वाधवान) को और अधिक कारावास की आवश्यकता नहीं है और वे इस स्तर पर मामले की योग्यता में प्रवेश किए बिना जमानत के हकदार हैं।’

ऐसे अपराधों में सिर्फ सात साल की होती है सजा- HC
हाईकोर्ट ने आदेश दिया, मुकदमे की वर्तमान स्थिति और निकट भविष्य में इसके निष्कर्ष पर पहुंचने की संभावना नहीं होने और मुकदमे से पहले कारावास को देखते हुए, आरोपी व्यक्तियों को जमानत दी जाती है। पीठ ने कहा कि भाइयों पर ऐसे अपराधों के लिए मामला दर्ज किया गया है, जिनमें अधिकतम सात साल की सजा हो सकती है। हाईकोर्ट ने कहा, इस मामले में वाधवान मई 2020 से हिरासत में हैं। यह लगभग चार साल और नौ महीने है, जो कि दोषसिद्धि पर लगाए जाने वाले कारावास की अधिकतम अवधि के आधे से भी अधिक है।

मई 2020 से जेल में हैं वधावन बंधु
अदालत ने विशेष अदालत की तरफ से पारित किए गए आदेशों पर भी गौर किया, जो मामले में सुनवाई करेगी। इसने कहा कि कार्यवाही में देरी के लिए केवल आवेदकों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है, जब ‘प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से मई 2023 में ही मसौदा आरोप प्रस्तुत किए जाने के बावजूद मामले में आरोप भी तय नहीं किए गए हैं’। धीरज वधावन और कपिल वधावन ने ईडी की तरफ से मार्च 2020 में उनके खिलाफ दर्ज धन शोधन मामले में जमानत मांगी थी। वे मई 2020 से जेल में हैं।

लंबी कैद के आधार पर राहत मांगी
दोनों ने लंबी कैद के आधार पर राहत मांगी और कहा कि वे अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों के तहत अधिकतम सजा का आधा से अधिक हिस्सा पहले ही काट चुके हैं। उनके वकील अमित देसाई ने तर्क दिया था कि वधावन को अधिकतम सात साल की सजा हो सकती है और वे पहले ही चार साल से अधिक की प्री-ट्रायल कैद काट चुके हैं। देसाई ने आगे कहा था कि मामले में ईडी की जांच अभी भी लंबित है और इस बारे में कोई सूचना नहीं है कि जांच कब पूरी होगी और मुकदमा कब शुरू होगा। दोनों ने कहा कि उन्हें त्वरित न्याय और स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार है।

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