Thursday, November 6, 2025
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सर्वेक्षण का लिया गया फैसला हिमस्खलन से अलकनंदा और पिंडर नदी के संभावित अवरोधों की होगी खोज

सचिव (आपदा प्रबंधन) विनोद कुमार सुमन ने जीएसआई के उप महानिदेशक, वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान और आईआईआरएस के निदेशक को इसके लिए पत्र लिखा है। माणा में भारी हिमस्खलन के बाद प्रदेश सरकार ने गंगा की प्रमुख सहायक नदियों अलकनंदा और पिंडर नदी के संभावित अवरोधों की खोज कराने का फैसला लिया है। इसके लिए दोनों नदियों के उच्च क्षेत्र में सर्वेक्षण कराया जाएगा। सर्वेक्षण कार्य में लोनिवि और सिंचाई विभाग भी शामिल रहेंगे।बीती 28 फरवरी को सीमांत जिले चमोली के माणा क्षेत्र में भारी बर्फबारी और हिमस्खलन हुआ था। इसकी चपेट में 55 श्रमिक आ गए थे। इस हादसे में आठ श्रमिकों की मौत हो गई थी। हिमस्खलन के कारणों के बारे में सरकार को ऐसी सूचनाएं प्राप्त हुईं कि अलकनंदा नदी में कई स्थानों पर नदी के बहाव में अवरोध आने जैसी समस्याएं हैं।

सचिव आपदा प्रबंधन ने पत्र में कहा है कि जोशीमठ के ऊपरी भाग में बदरीनाथ और माणा की ओर नदी के अवरूद्ध होने व इसके कारण प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका का अध्ययन कराना जरूरी है। उन्होंने पिंडर नदी के ऊपरी भाग में भी बहाव के अवरूद्ध होने जैसी परिस्थितियां पैदा होने की आशंका व्यक्त की है। सचिव ने सभी संस्थानों से सर्वेक्षण का काम जल्द शुरू करने का अनुरोध किया है। उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के निदेशक डॉ.शांतनु सरकार संस्थानों के साथ सहयोगी की भूमिका में होंगे।

तीन तरह से होगा सर्वेक्षण
सचिव आपदा प्रबंधन ने दोनों नदियों के ऊंचाई वाले स्थानों में तीन तरह से सर्वे कराने की अपेक्षा की है। पहला तरीका नदियों के अवरोध स्थलों की पहचान के लिए हाई रेज्युलेशन सेटेलाइट तस्वीरों का उपयोग होगा। दूसरा तरीका फील्ड सर्वे का होगा। सचिव ने कहा है कि जहां तक संभव हो, पांचों संस्थाओं की टीम स्थलीय निरीक्षण भी कर सकती है। तीसरा तरीका हवाई सर्वेक्षण हो सकता है। हेलिकॉप्टर की व्यवस्था आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से होगी।

सर्वेक्षण में यह पता लगाएंगे
सर्वेक्षण में नदी मार्ग में संभावित अवरोधों की स्थिति, उनके आयाम, अस्थायी झीलों और भविष्य में उत्पन्न होने वाले जोखिमों का आकलन होगा। सर्वेक्षण के निष्कर्षों के आधार पर सरकार के स्तर पर नदी में संभावित बाढ़ के खतरे को रोकने के लिए कदम उठाए जाएंगे।

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