भूस्खलन की जद मेंआकर गोविंदघाट में बना पुल टूटने से स्थानीय लोगों की चिंता बढ़ गई है। पुल टूटने से पुलनागांव का संपर्क कट गया है। गांव में अप्रैल में दो शादियां और एक महिला की डिलीवरी होनी है।पुलना गांव में वर्तमान में 101 परिवार निवास करते हैं। ग्रामीण इसी पुल से आवाजाही करते थे। पुल टूटने से ग्रामीणों के सामने आवाजाही का संकट गहरा गया है। पुलना वर्ष 2013 की आपदा से प्रभावित गांव है। उस समय लक्ष्मण गंगा में बाढ़ आने से गांव तबाह हो गया था।ग्रामीण आपदा से उबरे ही थे कि अब पुल टूटने से आवाजाही का संकट खड़ा हो गया है। दैनिक जरूरतों को पूरा करना के साथ ही गांव में शादी विवाह को संपन्न कराना भी उनके बड़ी चुनौती रहेगा। अप्रैल में पुलना गांव में दो शादियां होनी हैं, जबकि एक महिला की डिलीवरी भी होनी है। ऐसे में अब लोग इसको लेकर चिंतित हो गए हैं।
पुलना के आशीष चौहान ने बताया कि पुल टूटने से गांव का संपर्क बाकी क्षेत्रों से टूट गया है। लोग कैसे आवाजाही करेंगे, जरूरी कामों के लिए किस तरह से नदी के दूसरी तरफ जाएंगे यह सबसे बड़ी चिंता है। अप्रैल में गांव में दो शादियां हैं।एक युवक की शादी है जिसमें बरात बाहर जाएगी, जबकि एक युवती की शादी है जिसमें बाहर से बरात गांव में आएगी। ऐसे में यदि समय पर कोई व्यवस्था नहीं हो पाती है तो शादियों को संपन्न कराने में भारी दिक्कतें आ जाएंगी। वहीं गांव की आशा सुपरवाइजर हेमंती देवी ने बताया कि पुलना में अप्रैल माह में एक गर्भवती महिला की डिलीवरी होनी है।पुल टूटने से पुलना गांव के ग्रामीणों के वाहन भी फंस गए हैं। जिनके वाहन गोविंदघाट की तरफ थे वे यहीं फंस गए हैं जबकि कई ग्रामीणों के दोपहिया और चार पहिया वाहन पुलना की तरफ थे। पुल ध्वस्त होने से सभी तरह के वाहन फंस गए हैं।पुलना के ग्रामीणों ने गोविंदघाट के पास नदी पर मवेशियों की आवाजाही के लिए कच्ची पुलिया बना रखी है। इससे वे अक्सर मवेशियों को इधर-उधर लाने ले जाने का काम करते हैं। अब मुख्य पुल के टूटने से लोग इसी पुलिया से आवाजाही कर रहे हैं।