देहरादून, 12 मार्च 2025 – वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय (यूटीयू) में चल रहे फर्जी डिग्री घोटाले, भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं को लेकर छात्रों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। डी.ए.वी. छात्र संघ अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल के नेतृत्व में छात्र बीते दो सप्ताह से संघर्षरत हैं।
शासन द्वारा गठित जांच समिति पहले ही कुलपति डॉ. ओमकार सिंह की संलिप्तता की पुष्टि कर चुकी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि उन्होंने अपने गृह जनपद के एक करीबी से जुड़ी ईआरपी कंपनी को करोड़ों रुपये का ठेका दिलवाने में मिलीभगत की। रिपोर्ट आने के बाद भी वे अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर मामले को दबाने का प्रयास कर रहे हैं। इस स्थिति से नाराज छात्रों ने प्रदर्शन तेज कर दिया है।
छात्रों की प्रमुख मांगें –
- शासन की रिपोर्ट के आधार पर कुलपति डॉ. ओमकार सिंह और परीक्षा नियंत्रक डॉ. वी. के. पटेल को तत्काल पद से हटाया जाए। विश्वविद्यालय में इनकी उपस्थिति सबूतों से छेड़छाड़ और मामले को रफा-दफा करने का प्रयास मानी जा रही है।
- जांच समिति द्वारा उजागर किए गए 6 करोड़ रुपये के घोटाले की रिकवरी के लिए कड़े कदम उठाए जाएं। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की मदद लेकर दोषियों पर कानूनी कार्रवाई हो।
- इंजीनियरिंग कॉलेज, गोपेश्वर के डायरेक्टर अमित अग्रवाल की संदिग्ध डिग्रियों की जांच हो। एक ही दिन में दो डिग्रियां हासिल करना कानूनी अपराध है, ऐसे व्यक्ति को पदमुक्त कर उन पर कानूनी कार्रवाई की जाए।
- जांच रिपोर्ट के निर्देशानुसार ईआरपी प्रणाली को तत्काल बंद किया जाए। केंद्र सरकार द्वारा निःशुल्क उपलब्ध कराए जाने वाले “समर्थ पोर्टल” को लागू किया जाए।
- वर्तमान में घर बैठे हो रहे ऑनलाइन मूल्यांकन को तुरंत बंद किया जाए। मूल्यांकन गोपनीय केंद्रों पर पारदर्शी तरीके से कराया जाए।
- शिक्षकों को पिछले परीक्षा और मूल्यांकन कार्यों का भुगतान किया जाए। परीक्षा कार्य में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए केवल सीनियर अध्यापकों को ही परीक्षक नियुक्त किया जाए।
- 2022 से अब तक ऑनलाइन मूल्यांकन से असंतुष्ट छात्रों से 3,000 रुपये लेकर भी उचित समाधान नहीं किया गया। विश्वविद्यालय को निःशुल्क कैंप लगाकर छात्रों की शिकायतों को सुनना चाहिए।
- कई छात्र बैक पेपर नहीं भर पाने के कारण डिग्री पूरी नहीं कर पाए हैं। कुछ मामलों में छात्र न्यायालय में याचिका दायर कर चुके हैं, जबकि कुछ ने आत्महत्या जैसा कदम उठाने का मन बना लिया है। सभी प्रभावित छात्रों को एक साल का विशेष अवसर दिया जाए ताकि वे अपनी डिग्री पूरी कर सकें।
- विश्वविद्यालय द्वारा संस्थानों से प्रति विशेषज्ञ ₹20,000 लिए जाते हैं, लेकिन विशेषज्ञों को केवल ₹5,000 ही दिए जाते हैं। इस प्रकार की वित्तीय लूट बंद की जाए।
डी.ए.वी. छात्र संघ अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि यदि उपरोक्त मांगों पर शीघ्र कार्यवाही नहीं होती है, तो छात्रों को बड़े स्तर पर आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।
उन्होंने स्पष्ट किया कि छात्र हितों के साथ किसी भी प्रकार का खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के खिलाफ छात्रों का संघर्ष तेज होता जा रहा है। शासन की रिपोर्ट के बावजूद दोषियों पर कोई कार्रवाई न होने से छात्रों का गुस्सा चरम पर है। अब यह देखना बाकी है कि सरकार इस गंभीर मामले में क्या निर्णय लेती है।