बाजपुर निवासी एक परिवार पीपलपड़ाव के प्लाटों में चौकीदारी कर जीवन यापन कर रहा था। उन्हें कभी इस बात इल्म नहीं था कि रोजी-रोटी की तलाश में एक दिन वह अपने को ही खो देंगे। पिता की मौत से दोनों बेटे गमजदा हैं। पत्नी सहित अन्य परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। बाजपुर तहसील के मोहल्ला गांव निवासी कश्मीर सिंह अपने दो बेटों के साथ पीपलपड़ाव के प्लाॅट संख्या 24 में चौकीदारी कर अपना जीवन यापन कर रहे थे। सोमवार सुबह बिंदर और गुरजिंदर सिंह पिता कश्मीर सिंह से विदा लेकर खेतों की देखरेख करने निकले थे। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह अपने पिता को आखिरी बार देख रहे हैं। गुरजिंदर सिंह ने बताया कि वह पिछले नौ महीने से यहां चौकीदारी कर रहे हैं। परिवार में उनकी पत्नियों के अलावा मां हैं। इससे पहले वह बरेली के जंगल में चौकीदारी कर अपना गुजर बसर करते थे। रूंधे गले से गुरजिंदर ने कहा कि आज तक जंगल में कभी किसी जानवर ने उनपर हमला नहीं किया। आज अचानक हाथी के हमले में उनके पिता की जान चली गई।
जंगल से सटे खेतों में गेहूं-धान के बजाय मिर्च-अदरक बोएं
प्रभागीय वन अधिकारी यूसी तिवारी ने बताया कि जनता को विभाग के साथ सहयोग करना चाहिए। बताया कि जानवर गेहूं, धान और गन्ने की फसल की ओर ज्यादा आकर्षित होते हैं। ऐसे में किसानों को जंगल के सटे खेतों में मिर्च, अदरक, हल्दी जैसी फसलों को लगाना चाहिए। इससे किसानों की आय तो बढ़ेगी ही, जंगली जानवर उनकी ओर आकर्षित भी नहीं होंगे। विभाग हाथियों के लिए जंगल के अंदर घास के मैदान और तालाबों को पुनर्जीवित कर रहा है, जिससे जानवर एक क्षेत्र में ही सीमित रहे और हमले न करें। जंगल के किनारे सोलर फेंसिंग और खाई खोदने की तैयारी भी की जा रही है। इन दिनों नर हाथियों का मीटिंग सीजन चल रहा है। इस वजह से नर हाथी ज्यादा आक्रामक हो रहे हैं। हाथी या किसी भी जंगली जानवर के सामने आने पर लोगों को तेज आवाज निकालना चाहिए। जोरदार शोर करना चाहिए। इससे जंगली जानवर का दिमाग भटक जाता है और वह पीछे हट जाता है। – यूसी तिवारी, प्रभागीय वन अधिकारी
जंगलों में होती रही हैं हाथी और इंसानों में टकराव की घटनाएं
तराई के जंगलों में हाथी के हमले में इंसान की मौत की अक्सर घटनाएं सामने आती रही हैं। अधिकतर घटनाएं जंगल के भीतर चारा लेने या शौच गए लोगों के साथ हुई हैं।तराई के जंगलों में हाथियों की अच्छी तादाद है। पश्चिमी वृत्त में आने वाले पांच वन प्रभागों में वर्ष 2020 की गणना में 127 हाथी गिने गए थे। नेपाल से सटा होने की वजह से तराई के जंगलों में हाथियों की आवाजाही होती रही है। हाथियों की बढ़ती संख्या के बीच इंसानों के टकराव की घटनाएं भी अक्सर सामने आती रही हैं। हालांकि आबादी क्षेत्र में घटनाएं कम हुई हैं। बीती 23 जनवरी को खटीमा के किलपुरा रेंज के जंगल में हाथी के हमले में एक युवक की मौत हुई थी। 22 जनवरी 2024 को इसी रेंज के जंगल में चारा लेने गए वन गूजर को हाथी में मार दिया था। दो जनवरी 2022 को इसी रेंज के जंगल में चारा लेने गए ग्रामीण को हाथी ने जमीन पर पटककर मार दिया था। नौ फरवरी 2020 को पीपलपड़ाव रेंज के निगल्टिया खत्ता में गेहूं के खेत में घुसे हाथियों को भगाने गए गूजर को हाथी ने सूंड से उठाकर जमीन पर पटक कर मार दिया था। 20 जनवरी 2019 को बौर खत्ते के पास एक चौकीदार के अलावा एक गूजर की हाथी के मामले में मौत हुई थी।







