Sunday, September 21, 2025
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ट्रंप लागू करेंगे जवाबी टैरिफ क्या तैयारियां भारत के किन उद्योगों पर पड़ेगा असर और कौन से देश निशाने पर

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दो अप्रैल से कई देशों के खिलाफ रेसिप्रोकल टैरिफ यानी जवाबी आयात शुल्क लगाने का एलान करने जा रहे हैं। ट्रंप ने इस दिन को खास नाम भी दिया है- लिबरेशन डे यानी आजादी दिवस। हालांकि, उनके इस एलान को आर्थिक मामलों के जानकार ने दुनिया के खिलाफ व्यापार युद्ध छेड़ने का दिन करार दिया है। ट्रंप का कहना है कि कई देश अमेरिकी उत्पादों पर जबरदस्त टैरिफ लगाते हैं, वहीं अमेरिका उन देशों के उत्पादों पर कम आयात शुल्क वसूलता है। अमेरिकी राष्ट्रपति का मानना है कि इसकी वजह से अमेरिका को 1 ट्रिलियन डॉलर का व्यापार घाटा उठाना पड़ता है, जो कि अमेरिकी उद्योगों और कामगारों के लिए नुकसान देह है।ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर डोनाल्ड ट्रंप आज आयात शुल्क पर क्या बड़े एलान कर सकते हैं? उनके टैरिफ से जुड़े एलानों की जद में कौन-कौन से देश आ सकते हैं? ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ का भारत पर क्या असर होगा और देश के कौन-कौन से उद्योगों पर इसका सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ने की संभावना है? इसके अलावा ट्रंप के टैरिफ लगाने के एलान से अमेरिका को फायदा होगा या नुकसान?

क्या हो सकते हैं ट्रंप के बड़े फैसले?
खुद अमेरिकी राष्ट्रपति के मुताबिक, वह उन सभी देशों पर जवाबी टैरिफ का एलान करने वाले हैं, जो देश अमेरिकी उत्पादों के आयात पर शुल्क वसूलते हैं। ट्रंप का साफ कहना है कि वह हर देश पर उतना ही टैरिफ लगाएंगे, जितना सामने वाला देश अमेरिका के उत्पादों पर लगाता है।
ट्रंप का कहना है कि अमेरिका के आयात शुल्क हर देश में उद्योग दर उद्योग या उत्पाद दर उत्पाद पर निर्भर होंगे। यानी जो उद्योग ज्यादा आयात शुल्क लगाएगा, उसे उतना ही जवाबी टैरिफ झेलना होगा। यानी एक ही देश के अलग-अलग उद्योगों पर अलग-अलग टैरिफ की व्यवस्था की जा सकती है।
ट्रंप प्रशासन के एक और वर्ग का कहना है कि अलग-अलग देशों पर यह टैरिफ औसत के आधार पर भी लगाए जा सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर कोई देश अमेरिकी कारों पर 30% टैरिफ लगाता है और फार्मा सेक्टर पर 20% टैरिफ लगाता है, तो ट्रंप प्रशासन पूरे देश के उत्पादों पर जवाबी औसतन टैरिफ 25 फीसदी कर सकता है।
व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने रविवार को ही फॉक्स न्यूज को बताया कि अमेरिका इन टैरिफ से हर साल 600 अरब डॉलर जुटा सकता है, जिसका मतलब है कि सभी देशों पर आयात शुल्क का औसत करीब 20 फीसदी रहेगा।
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ट्रंप के टैरिफ की जद में कौन-कौन से देश आ सकते हैं?
ट्रंप ने अब तक कई देशों पर टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है। सबसे पहले उनके निशाने पर चीन, कनाडा और मैक्सिको रहे थे। इसके बाद उन्होंने कई मौकों पर अपने बाकी सहयोगियों- यूरोपीय संघ, दक्षिण कोरिया, भारत, ब्राजील, आदि के नाम लिए थे। अपने सबसे ताजा बयान में ट्रंप ने कहा- “हम सभी देशों से शुरुआत करना चाहेंगे। देखते हैं आगे क्या होता है।

उनके इस बयान के बाद यह साफ नहीं हो पाया कि ट्रंप 2 अप्रैल को पुख्ता तौर पर किन-किन देशों को टैरिफ की जद में ला सकते हैं। हालांकि, अमेरिका के वाणिज्य मंत्री स्कॉट बेसेंट ने अपने एक बयान में ‘डर्टी 15’ का जिक्र किया। उन्होंने बयान में साफ किया था कि 2 अप्रैल से अमेरिका के 15 फीसदी व्यापारिक साझेदार, जो हम पर जबरदस्त टैरिफ लगाते हैं और अमेरिकी उत्पादों के लिए व्यापार से जुड़ी बाधाएं पैदा करते हैं, वह सबसे पहले निशाने पर होंगे।अमेरिकी वाणिज्य मंत्रालय का 2024 का डाटा देखा जाए तो सामने आता है कि अमेरिका को व्यापार घाटा कुछ देशों से सबसे ज्यादा है। इनमें सबसे ऊपर चीन है।इन देशों का अमेरिका के साथ सबसे ज्यादा व्यापार असंतुलन है और ऐसे में ट्रंप प्रशासन के नए टैरिफ की जद में यह देश शामिल हो सकते हैं। दूसरी तरफ अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधिन कार्यालय (यूएसटीआर) ने भी 21 देशों की पहचान की है, जिनके व्यापार असंतुलन की समीक्षा की जा रही है। ट्रंप के इस बार होने वाले टैरिफ की जद में ‘डर्टी 15’ देशों के आने की चर्चा सबसे ज्यादा है, हालांकि उनके बयानों पर ध्यान दिया जाए तो आयात शुल्क से प्रभावित होने वाले देशों की संख्या और ज्यादा हो सकती है।

भारत के किन-किन उद्योगों-सेक्टर्स पर पड़ सकता है ट्रंप के टैरिफ का असर?
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (जीटीआरआई) के मुताबिक, भारत में अमेरिकी के अलग-अलग उत्पादों को मिलाकर औसत टैरिफ करीब 7.7 फीसदी के आसपास बैठता है। वहीं, अमेरिका की तरफ से भारत से आयात होने वाली चीजों पर औसत 2.8 फीसदी आयात शुल्क लगाया जाता है। यानी दोनों देशों के बीच औसत टैरिफ में करीब 4.9 फीसदी का फर्क है।यानी अगर ट्रंप भारत के सभी उत्पादों पर टैरिफ लगाने का एलान करते हैं तो वह आयात शुल्क को पहले से 4.9 फीसदी बढ़ाने की घोषणा कर सकते हैं।

अगर अलग-अलग उद्योगों पर टैरिफ लगाएं तो
अगर अमेरिका पूरे देश पर औसत टैरिफ लगाने की जगह उद्योगों को निशाना बनाकर टैरिफ लगाएं तो कृषि उद्योग से अमेरिका जाने वाले उत्पादों पर 32.4 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ और औद्योगिक उत्पादों पर 3.3 फीसदी आयात शुल्क बढ़ा सकते हैं। अमेरिका इस वक्त भारत से आयात होने वाले कृषि उद्योग के उत्पादों पर 5.3 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी लगाता है। वहीं भारत की तरफ से अमेरिकी कृषि उत्पादों पर 37.7 फीसदी टैरिफ लगता है। यह करीब 32.4 फीसदी का अंतर है। अमेरिका से भारत पहुंचने वाले उत्पादों को करीब 5.9 फीसदी टैरिफ झेलना पड़ता है। इसके मुकाबले अमेरिका फिलहाल भारत से आयात होने उत्पादों पर सिर्फ 2.6 फीसदी टैरिफ लगाता है। आयात शुल्क का यह अंतर 3.3% का है।

अगर ट्रंप भारत के सेक्टर्स को निशाना बनाएं तो
अमेरिका अगर भारत के सेक्टर्स को निशाना बनाता है तो जिन सेक्टर्स में भारत ज्यादा आयात शुल्क वसूलता है, उन्हें सबसे ज्यादा नुकसान होगा। यानी जिन सेक्टर्स के आयात शुल्क में फर्क सबसे ज्यादा है, वह सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।

भारत की किन चीजों के निर्यात में होगा नुकसान?
अगर ट्रंप आयात शुल्क बढ़ाने का एलान कर देते हैं तो भारत की तरफ से निर्यात की जाने वाली कई चीजों की कीमत अमेरिका में बढ़ जाएगी। नतीजतन उनकी खपत अमेरिका में कम हो सकती है और भारत का निर्यात कम हो सकता है।

किन सेक्टर्स को बिल्कुल नुकसान नहीं होगा?
अमेरिका की तरफ से आयात शुल्क लगाने के फैसले का सबसे कम नुकसान अयस्क, खनिज और पेट्रोलियम सेक्टर को होगा, क्योंकि अमेरिका की तरफ से भारत से आयात होने वाले इस सेक्टर के 3.33 अरब डॉलर के उत्पादों पर ज्यादा टैरिफ लगाया जाता है। इसी तरह गारमेंट सेक्टर के 4.93 अरब डॉलर के निर्यात पर भी अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव नहीं पड़ेगा।

अमेरिका को कैसे जवाब देने की तैयारी कर रहे सभी देश?
अमेरिकी राष्ट्रपति लंबे समय से कई देशों को आयात शुल्क लगाने की धमकी दे रहे हैं। इसके चलते अधिकतर देशों ने अमेरिकी टैरिफ से निपटने की तैयारी भी कर ली है। इनमें कनाडा और चीन सबसे आगे हैं, जिन्होंने कहा है कि अगर ट्रंप आयात शुल्क लगाते हैं तो वह जवाब देंगे। इसके अलावा यूरोपीय संघ ने अप्रैल के मध्य से जवाबी आयात शुल्क लगाने की बात कही है। दूसरी तरफ दक्षिण कोरिया और मैक्सिको ने फिलहाल अपने कदमों का खुलासा नहीं किया है। हालांकि, दोनों की तरफ से आर्थिक तौर पर जरूरी कदम उठाने की बात कही गई है।

भारत में क्या है तैयारी?
भारत ने अमेरिकी टैरिफ से निपटने के लिए ट्रंप के आने के बाद से ही तैयारियां शुरू कर दी थी। मोदी सरकार के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल बीते कुछ दिनों में अमेरिका दौरे पर जाकर एक व्यापक व्यापार समझौते पर चर्चाएं कर चुके हैं। इसके बाद अमेरिका के उप विदेश मंत्री क्रिस्टोफर लैंडाउ ने भी पिछले हफ्ते भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री से मुलाकात की थी और व्यापार में आ रही रुकावटों को व्यापार समझौते के जरिए ही दूर करने पर प्रतिबद्धता जताई। दोनों देश इसी साल के अंत तक व्यापार समझौते को मंजूरी दे सकते हैं। इसके तहत भारत कई अहम अमेरिकी उत्पादों पर आयात शुल्क को घटा सकता है। हालांकि, भारत के विदेश मंत्रालय ने अब तक ट्रंप के टैरिफ वसूलने वाले बयानों पर जवाब नहीं दिया है।

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