काॅर्बेट टाइगर रिजर्व से सटे आबादी वाले इलाकों में आ रहे बाघों पर पार्क प्रशासन रेडियो कॉलर लगाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए पार्क अधिकारी वर्ल्ड वाइड फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) और वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) के साथ जल्द ही शोध करने जा रहे हैं। शोध के बाद ऐसे बाघों पर रेडियो कॉलर लगाने पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। बीते कुछ वर्षों में काॅर्बेट में बाघों के बढ़ते कुनबे के साथ ही पार्क से सटे आबादी वाले इलाकों में मानव वन्यजीव संघर्ष के मामले भी तेजी से बढ़े हैं। अब अधिकारियों ने इन घटनाओं को कम करने के लिए योजना बनाई है। इसमें आबादी वाले क्षेत्रों में बार-बार पहुंच रहे बाघों पर रेडियो कॉलर लगाए जाएंगे। इसके लिए डब्ल्यूडब्ल्यूएफ और डब्ल्यूआईआई के साथ शोध किया जाएगा। शोध के बाद पार्क प्रशासन रेडियो कॉलर लगाने को लेकर प्रस्ताव शासन को भेजेगा। प्रस्ताव पास होते ही ऐसे बाघों पर रेडियो कॉलर लगाया जाएगा।
बाघों की होगी मॉनिटरिंग
पार्क अधिकारियों के अनुसार, आबादी क्षेत्र में लगातार आ रहे बागों पर रेडियो कॉलर लगाने के बाद उनकी मॉनिटरिंग की जा सकेगी। यह भी पता चल सकेगा कि क्षेत्र में कितने बाघों का मूवमेंट है।
काॅर्बेट पार्क में 260 बाघों की है मौजूदगी
एनटीसीए हर चार साल में बाघों की गिनती करवाता है। वर्ष 2022 में काॅर्बेट टाइगर रिजर्व में 260 बाघों की मौजूदगी दर्ज की गई थी। मानव वन्यजीव संघर्ष को देखते हुए आबादी वाले क्षेत्रों में आने वाले बाघों पर रेडियो कॉलर लगाने की योजना है। शोध के बाद रेडियो कॉलर लगाने का प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा। – डॉ. साकेत बडोला, निदेशक, काॅर्बेट टाइगर रिजर्व