हल्द्वानी। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में कौशल शिक्षा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं भारतीय ज्ञान प्रणाली में विश्वविद्यालय की भूमिका विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला हुई। वक्ताओं ने कहा कि आज के समय में विद्यार्थियों को केवल कर्मचारी नहीं बल्कि कर्मयोगी बनने की ओर प्रेरित करना चाहिए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संयुक्त सचिव यूजीसी-डीईबी डॉ. मधुकर मारुति ने कहा कि डिस्टेंस एजुकेशन राष्ट्रीय शिक्षा नीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। यूजीसी-डैब इसे देशभर में प्रोत्साहित कर रहा है।
शिक्षक ही छात्र परिवर्तन के वास्तविक वाहक होते हैं, उनका योगदान शिक्षा व्यवस्था को जीवंत बनाता है। मुख्य वक्ता और राष्ट्रीय संगठन सचिव भारतीय शिक्षण मंडल बीआर शंकरानंद ने कहा कि शिक्षा भयमुक्त होनी चाहिए। इसका उद्देश्य एक स्वस्थ, स्वायत्त और आत्मनिर्भर व्यक्ति का निर्माण होना चाहिए। कार्यशाला की अध्यक्षता कुलपति प्रो. ओपीएस नेगी ने की। प्रो. जीतेंद्र पांडे, प्रो. अशुतोष कुमार भट्ट, प्रो. डिगर सिंह फर्सवाण, प्रो. मंजरी अग्रवाल, प्रो. अरविंद भट्ट आदि शिक्षकों ने कार्यशाला में प्रतिभाग किया।