प्रदेश की गैर हिमानी और वर्षा आधारित नदियों के जल प्रवाह के आकलन की तैयारी है। यह काम स्प्रिंग्स एंड रिवर रिजुवेनेशन अथारिटी (सारा) सिंचाई अनुसंधान संस्थान के माध्यम से कराने की योजना है। इसको लेकर बैठक भी हो चुकी है। प्रदेश में गंगा, यमुना, काली गंगा, गोरी गंगा, पिंडर आदि प्रमुख हिमानी नदियां हैं। इसी तरह गोमती, पनार, कोसी, बिनो, गौला जैसी गैर हिमानी नदियां भी हैं।
अधिकारियों के मुताबिक अभी तक राज्य में प्रमुख वर्षा आधारित नदियों और बड़ी नदियों के प्रवाह मापन का काम केंद्रीय संस्थानों के माध्यम से होता है।अब सारा ने राज्य में जो गैर हिमानी नदियों, वर्षा आधारित नदियों, सहायक नदियों के प्रवाह का आकलन, निगरानी और मूल्यांकन की योजना बनाई है। इस काम के साथ ही पुनर्जीवीकरण का काम हो रहा है, उन कामों के प्रभाव का मूल्यांकन भी करने की योजना है। इस पर सारा की उच्च अधिकार प्राप्त समिति की बैठक में मंजूरी मिल चुकी है।
चरणबद्ध तरीके से होगा आकलन
सारा की अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी नीना ग्रेवाल कहती हैं कि बड़ी नदियों के प्रवाह का आकलन तो होता है, पर अब चरणबद्ध तरीके से गैर हिमानी नदियों के प्रवाह के आकलन की भी योजना है। इसको लेकर सिंचाई अनुसंधान संस्थान के साथ एक बैठक हो चुकी है।