कोशिश यह थी कि ड्रोन को हल्द्वानी जैसे शहर से सुदूरवर्ती पहाड़ के अस्पतालों तक दवाओं के साथ भेजा जाए। वापसी में वहां से जरूरत पड़ने पर ब्लड सैंपल आदि लेकर वापस आया जा सके, ताकि दूर बैठे लोगों को ठीक इलाज मिल सके। ड्रोन को यहां से उड़ाया भी गया, मगर उसकी कम बैटरी पावर और ज्यादा लोड नहीं ले जाने की क्षमता के चलते पहली ट्रायल उड़ान फेल हो गई। ड्रोन मंजिल तक पहुंचा तो सही मगर मेडिकल कॉलेज के स्वास्थ्य मानकों पर खरा नहीं उतर सका।
दूर उड़ान भरने के बावजूद वहां के लोगों को इलाज देने की सुविधा को पंख नहीं लग सके।दूरदराज के क्षेत्रों में ड्रोन के माध्यम से स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच के लिए टेक ईगल कंपनी का चयन हुआ था। 22 अप्रैल को कंपनी ने हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज से सीएचसी कोटाबाग तक ड्रोन की मदद से दो ब्लड सैंपल भेजे थे। योजना के तहत ब्लड, एंटीवेनम, दवा आदि सामग्री भेजना शामिल है। मगर यह ट्रायल मानकों पर खरा नहीं उतरा है। मेडिकल कॉलेज के एचआईएस विभाग ने जांच के बाद डेमो को फेल बताया है। अब मेडिकल कॉलेज प्रशासन दोबारा टेंडर प्रकिया शुरू करने की तैयारी में है।
इन कारणों से मानकों पर खरा नहीं उतरा ट्रायल
ड्रोन ने सीएचसी कोटाबाग तक 35 किमी. की दूरी आधे घंटे में तय की। एचआईएस विभाग के अनुसार वहां ड्रोन की बैटरी बदली गई, जबकि कंपनी ने इसकी रेंज 100 किमी. बताई थी।
कंपनी ने ड्रोन पांच किग्रा. तक वजन ले जाने में सक्षम बताया था। पर ट्रायल वाले दिन ड्रोन केवल 2.7 किग्रा. सामान लेकर गया।
ड्रोन के माध्यम से दवा भेजने का डेमो मानकों पर खरा नहीं उतरा है। कंपनी के चयन के लिए दोबारा से टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसके लिए जल्द तकनीकी कमेटी की बैठक में निर्णय लिया जाएगा। – सीएस गुरुरानी, एचआईएस प्रमुख, सुशीला तिवारी राजकीय मेडिकल कॉलेज, हल्द्वानी।