प्रदेश में अवैध मजारों पर बुलडोजर चलाने के बाद अब धामी सरकार ने डेमोग्राफी चेंज के प्रयासों पर स्ट्राइक करना शुरू कर दिया है। ऊधमसिंह नगर और नैनीताल जिले में स्थानीय स्तर पर प्रशासन ने इसे लेकर कार्रवाई चालू कर दी है। हल्द्वानी में अवैध रूप से काटी जा रही पांच कॉलोनियों में से दो पर बुलडोजर चलाया जा चुका है, जबकि ऊधमसिंह नगर में 790 अवैध कॉलोनियों में जमीन की खरीद फरोख्त पर रोक लगा दी गई है।बीते दो दशक में कुमाऊं मंडल की डेमोग्राफी तेजी से बदली है। तराई भाबर ही नहीं बल्कि पिथौरागढ़, चंपावत, बागेश्वर, अल्मोड़ा, नैनीताल जिले के गांवों में दूसरे प्रांतों के मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जमकर जमीन की खरीद फरोख्त की है। इसी दौरान कई स्थानों पर रातों रात अवैध रूप से मजार भी बना दी गई थी। इसे गंभीरता से लेते हुए धामी सरकार ने नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जिलों के साथ साथ प्रदेश में लगभग छह सौ से अधिक अवैध मजारों पर बुलडोजर चलवा दिया था।
अब धामी सरकार की नजर पहाड़ में हो रहे डेमोग्राफी बदलाव पर है। इसे देखते हुए ही सीएम धामी ने पिछले दिनों सौ वर्ग गज से कम जमीन की खरीद फरोख्त की जांच के आदेश दिए थे। इस जांच में ही अवैध रूप से की जा रही प्लॉटिंग और अवैध कॉलोनियों का खेल खुल रहा है। हल्द्वानी में अब तक अवैध रूप से काटी जा चुकी पांच कॉलोनियों का खुलासा हुआ है। चौसला से शुरू हुआ यह सफर देवला तल्ला पजाया होते हुए नवाड़खेड़ा तक जा पहुंचा है। यहां भी एक सौ से पांच सौ वर्ग गज के छोटे-छोटे प्लॉट बेचे गए हैं और खरीदने वाले अधिकांश मुस्लिम समुदाय के लोग हैं। डेमोग्राफी चेंज के प्रयासों पर वार करते हुए धामी सरकार यहां देवला तल्ला पजाया में अवैध प्लाटिंग पर बुलडोजर चलवा चुकी है। इससे पहले चौसला में अवैध प्लॉटिंग और निर्माण पर रोक लगा दी गई थी। साथ ही यहां सरकारी जमीन पर किए गए अतिक्रमण पर भी दो दिन पहले रविवार को प्रशासन का बुलडोजर चल चुका है।
न रेरा का खौफ न डीडीए का डर
हल्द्वानी और इसके आसपास जो लोग भी अवैध रूप से कॉलोनियां काट रहे है उन्हें न तो रेरा का खौफ है और न ही डीडीए का डर। कॉलोनाइजरों ने बेधड़क होकर नियम कानून को ताक पर रखकर अवैध रूप से कॉलोनियां काट दी हैं। इसके लिए न तो प्रशासन से और न ही जिला विकास प्राधिकरण से अनुमति ली गई है। काटी गई कई कॉलोनियों में जो सड़कें हैं, वे भी दस-दस फुट की ही हैं जो कि मानकों के विपरीत हैं। इतना ही नहीं इन कॉलोनियों में न तो पार्किंग की सुविधा है और न ही पार्क की।
हल्द्वानी को मास्टर प्लान का इंतजार
शहर में जिस तेजी से अनियोजित विकास हो रहा है उससे शहर का सौंदर्य और सेहत दोनों ही प्रभावित हो रही हैं। बगैर नक्शा पास कराए बनने वाली कॉलोनियों में लोग अपने मनमुताबिक भवन निर्माण करते हैं, जो बाद में दिक्कतों का कारण बनते हैं। कॉलोनियां में लोग मकान तो बना लेते हैं लेकिन कुछ समय बाद कभी सिटी मजिस्ट्रेट के दफ्तर में तो कभी डीएम और कमिश्नर के दफ्तर में पहुंचकर बिजली, पानी और सड़क और अतिक्रमण संबंधी शिकायतें करते नजर आते हैं। नियोजित विकास के लिए नगर नियोजन विभाग ने पिछले दिनों शहर का मास्टर प्लान बनाया था, जिसे शासन ने मंजूरी नहीं दी। अब शहर को मास्टर प्लान की दरकार है।
पूंजीपतियों से लेकर सफेदपोश तक शामिल
शहर के आसपास जिस तेजी से प्लॉटिंग का खेल कर अवैध रूप से कॉलोनियां काटी जा रही हैं, उनमें पूंजीपतियों से लेकर कई सफेदपोश भी शामिल हैं। इनमें से कुछ तो यह खेल अपने नाम से कर रहे हैं जबकि कई लोग इस खेल को अपने रिश्तेदारों के नाम से संचालित कर रहे हैं।
35 हजार से अधिक हेक्टेयर में घट गया खेती का रकबा
पिछले पांच साल में नैनीताल जिले में लगभग 35 हजार हेक्टेयर भूमि में खेती का रकबा घट चुका है। इसमें 2464 हेक्टेयर सिंचित और 32652 हेक्टेयर असिंचित भूमि शामिल है। इसमें अधिकांश भूमि ऐसी है, जहां कभी पहले खेती होती थी और अब वहां कंक्रीट के जंगल खड़े हो गए हैं। अवैध रूप से प्लॉटिंग करने और कॉलोनियां विकसित करने से शहरों में अनियोजित विकास हो रहा है। इससे लैंड फ्रॉड के मामले भी बढ़े हैं। लोगों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। प्राधिकरण ऐसे मामलों में कार्रवाई भी कर रहा है। सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि जैसे ही कहीं अवैध रूप से प्लॉटिंग करने अथवा कॉलोनियां काटने की सूचना मिलती है तो उस पर तुरंत नियमानुसार कार्रवाई की जाए ताकि जमीन खरीदने वालों के साथ किसी तरह का अन्याय न हो। -दीपक रावत आयुक्त कुमाऊं मंडल नैनीताल।