देखरेख के अभाव में सरकारी संपत्ति की बर्बादी देखनी है तो आप बेस अस्पताल जा सकते हैं। कोरोनाकाल के दौर में मिला लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन टैंक का उपयोग करना स्वास्थ्य विभाग भूल गया है। चार वर्षों से यह टैंक बेस अस्पताल में लावारिस हालत में परिसर के बाहर रखा हुआ है। मामले में जिम्मेदार दूसरे अस्पताल में इसका उपयोग करने की बात कह रहे हैं। वर्ष 2021-2022 में स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना मरीजों के लिए ऑक्सीजन की जरूरत को देखते हुए बेस अस्पताल में ऑक्सीजन टैंक भेजा था। अस्पताल में ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था होने और प्लांट लगा होने के कारण इसे उपयोग में नहीं लाया जा सका। तब से यह अस्पताल परिसर में लावारिस हाल में रखा है। बारिश से बचाने के लिए बार-बार टैंक को ढका जाता है लेकिन स्थापित करने के लिए सुरक्षित जगह नहीं तलाशी गई। पीएमएस डॉ. केके पांडे ने बताया कि यह टैंक अस्पताल का नहीं है। कोविड के समय यहां रखा गया था। इस बारे में स्वास्थ्य विभाग के डीजी, सीएमओ को पत्राचार भी किया जा चुका है। इधर सीएमओ के मुताबिक मोतीनगर में बन रहे मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल का निर्माण पूरा होने के बाद ऑक्सीजन टैंक को वहां भेजा जाएगा।
मशीन खराब होने से बेस अस्पताल में पैथोलॉजी की तीन जांचें बंद
बेस अस्पताल में पैथोलॉजी की तीन जांचें बंद हो गई हैं। इस कारण मरीजों को जांच के लिए अन्यत्र जाना पड़ रहा है। दो दिन पहले यहां बायोकेमेस्ट्री एनालाइजर मशीन के तीन पार्ट खराब हो गए हैं। इस कारण ब्लड शुगर, एलएफटी, केएफटी जांच बंद हो गई है। रोजाना यहां करीब 350 से 400 जांचें होती हैं। बताया गया कि यहां मशीन केटीपीएल कंपनी ने लगाई थी। सरकार के साथ अनुबंधित कंपनी है। अब मरीजों को जांच के लिए चंदन अस्पताल जाना पड़ रहा है। हालांकि वहां जांचें निशुल्क की जा रही हैं। पीएमएस डॉ. केके पांडे ने बताया कि कंपनी को पत्राचार के साथ ही दूरभाष से भी बात की गई है। मशीन को तुरंत ठीक करने के लिए कहा गया है। अगले दो दिन में मशीन ठीक होने की उम्मीद है।