लाठी लेकर भालू आया छमछम, छमछम। यह कविता बचपन में ज्यादातर लोगों ने पढ़ी और सुनी होगी। वर्तमान में वन विभाग की सख्ती के चलते मनोरंजन के लिए भालू जैसे वन्यजीवों का इस्तेमाल करने पर पाबंदी है, लेकिन प्रतिबंध के बावजूद बिहार, झारखंड और यूपी में चोरी-छिपे भालू के नाच का खेल जारी है। इसका खुलासा भारतीय वन्यजीव संस्थान में वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया (डब्ल्यूटीआई) के सोशल मीडिया की डिजिटल निगरानी के दौरान सामने आया है। संस्था के प्रयास से कई भालू रेस्क्यू किए जा चुके हैं। किसी दौर में शहर, गांवों में भालू का नाच दिखाकर मनोरंजन किया जाता था। वन विभाग के मुताबिक वर्ष- 2009 से यह चलन खत्म हो गया, लेकिन यह खेल कुछ जगह जारी है। बस बदलाव के तौर पर इतना हुआ है कि यह शहरों में न होकर दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहा है।
नौ स्लॉथ भालुओं का बचाव किया गया
वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया के सहायक प्रबंधक मोनिष सिंह तोमर कहते हैं, संस्था की एक टीम सोशल मीडिया की लगातार निगरानी करती है। इस दौरान 82 ऐसे वीडियो मिले, जाे कि भालू को मनोरंजन के लिए नाच कराने से जुड़े थे। जो लोग नाच कराते थे, उनकी वेशभूषा पर फोकस किया गया। फिर स्थानीय संपर्कों से पता करने की कोशिश की गई। इसमें सफलता भी मिली। वर्ष 2022 से 2024 की शुरुआत तक कई अभियानों में नौ स्लॉथ भालुओं का बचाव किया गया। इस काम में लगे 11 व्यक्ति भी हत्थे चढ़े। इस संबंध में भारतीय वन्यजीव संस्था में आयोजित भारतीय संरक्षण सम्मेलन-2025 में एक प्रेजेंटेशन भी दिया गया है।
रेस्क्यू सेंटर में 79 भालू
भालू के संरक्षण को लेकर वाइल्ड लाइफ एसओएस रेस्क्यू सेंटर चलाती है। आगरा स्थित रेस्क्यू सेंटर में वर्तमान में रेस्क्यू कर लाए गए 79 भालू रखे गए हैं। भारतीय वन्यजीव संस्थान में आए संस्था के प्रतिनिधि शुभम ने बताया कि 2002 में पहला रेस्क्यू करके भालू को लाया गया था।