रामनगर। उत्तराखंड में पहली बार शिकारी पक्षियों (रैप्टर) पर रिसर्च की जा रही है। कॉर्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व में सैटेलाइट टेलीमेट्री डिवाइस के जरिए कुछ वल्चर और अन्य रैपटर्स की मूवमेंट को ट्रैक किया गया हैं। जिसके नतीजे बेहद चौंकाने वाले सामने आए हैं। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर डॉ. साकेत बडोला ने बताया कि वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर-इंडिया के सहयोग से इन शिकारी पक्षियों पर दो प्रकार की स्टडी चलाई जा रही है एक सैटेलाइट टेलीमेट्री आधारित, जिसमें पक्षियों को सैटेलाइट कॉलर लगाए गए हैं और दूसरी फील्ड सर्वे आधारित जिसमें पूरे उत्तराखंड में इनकी आबादी और मूवमेंट को ट्रैक किया गया है। कॉर्बेट में रैपटर्स की कुल 30 प्रजातियों की पहचान की गई है, जिनमें से 5 संकटग्रस्त श्रेणी में आती हैं। इनमें से कुछ जैसे पलास फिशिंग ईगल और ऑस्प्रे पूरे साल कॉर्बेट में ही पाई जाती हैं, जो यह दर्शाता है कि कॉर्बेट का पारिस्थितिक तंत्र इनके लिए आदर्श और सुरक्षित वास स्थल है। – साकेत बडोला, डायरेक्टर, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व
इस अध्ययन के तहत कॉर्बेट और राजाजी क्षेत्र में ट्रैक किए गए रेड हेडेड वल्चर को पिथौरागढ़ और कुछ अन्य वल्चर को हरियाणा तक जाते हुए पाया गया। इस मूवमेंट ने विशेषज्ञों को चौंकाया है। क्योंकि यह दर्शाता है कि ये संकटग्रस्त प्रजातियां प्रोटेक्टेड एरिया से बाहर भी जा रही हैं, जहां उनके सामने बिजली की खुली लाइनों जैसे गंभीर खतरे मौजूद हैं। WWF (वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर) की रिसर्च में एक साढ़े चार किलोमीटर लंबी बिजली लाइन की पहचान की गई, जिससे कई गिद्धों की मौत हो चुकी थी। इस जानकारी के आधार पर विद्युत विभाग के सहयोग से इस लाइन को इंसुलेट किया गया, ताकि आगे नुकसान से बचा जा सके।
हल्द्वानी में ऑपरेशन मानसून शुरू। मानसून के साथ जंगलों में अवैध शिकार और अवैध लकड़ी तस्करी की घटना भी बढ़ जाती हैं। मानसून में वन्यजीव तस्करों के सक्रिय होने की आशंका को लेकर वन विभाग ने सुरक्षा को देखते हुए ऑपरेशन मानसून की शुरु कर दिया है। तराई पूर्वी वन प्रभाग के अंतर्गत जंगलों में वनकर्मी गश्त करने में जुटे हैं। वहीं नेपाल सीमा से लगे शारदा नदी में इलेक्ट्रिक बोट का प्रयोग कर गश्त की जा रही है। प्रभागीय वनाधिकारी हिमांशु बागड़ी ने बताया कि मानसून में जंगलों में अवैध शिकार और तस्करी की घटनाएं बढ़ जाती हैं। शासन के निर्देश पर ऑपरेशन मानसून शुरू किया गया है, जहां सभी वन कर्मियों को 24 घंटे अलर्ट पर रखा गया है। उन्होंने बताया कि तराई के जंगल मे भारी संख्या में टाइगर, हाथियों के अलावा अन्य वन्यजीवों का वास स्थल है। बरसात के समय में अक्सर देखा गया है कि वन तस्कर सक्रिय हो जाते हैं। जिसको देखते हुए वन विभाग के कर्मचारियों को रात और दिन गश्त करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा वन्यजीव तस्करों पर नजर बनाई जा रही है।