Sunday, September 21, 2025
Google search engine
Homeउत्तराखण्डबढि़या बीज मिले और खेतों में खूब खिलखिलाई सरसों

बढि़या बीज मिले और खेतों में खूब खिलखिलाई सरसों

बागेश्वर। किसानों को अगर बढि़या बीज और सही सलाह मिल जाए तो उनकी मेहनत का रंग और निखर जाता है। बागेश्वर के किसानों ने फिर एक बार इसे प्रमाणित किया है। कृषि वैज्ञानिकों ने सरसों की खास किस्म पंत श्वेता के बीज दिए तो काश्तकारों ने भी प्रयासों में कोई कसर नहीं छोड़ी। नतीजा उत्साहजनक रहा और उन्नत किस्म के बीजों से प्रति हेक्टेयर सरसों की पैदावार 1.95 क्विंटल तक बढ़ गई।केवीके ने तीनों विकासखंडों में के 45 गांवों में 300 किसानों को साथ लेकर 40 हेक्टेयर जमीन पर पंत श्वेता की बोवाई की थी। समय-समय पर किसानों को वैज्ञानिकों ने उचित मार्गदर्शन दिया। उन्हें उर्वरक की मात्रा, रोगों और कीटों से फसल को बचाने का प्रशिक्षण दिया गया। किसानों ने मेहनत और लगन से फसल की देखभाल की और परिणाम भी सुखद रहा। एक ओर जहां प्रति हेक्टेयर जमीन पर सामान्य सरसों की पैदावार 2.55 क्विंटल होती थी वहां अब पंत श्वेता की बोवाई से यह बढ़कर 4.5 क्विंटल हो गई। अधिक उपज होने से किसान और केंद्र के वैज्ञानिक काफी उत्साहित हैं।

इस साल 30 हेक्टेयर जमीन पर होगी बोवाई
बागेश्वर। पिछली बार की सफलता के बाद अब केंद्र नए गांवों में पंत श्वेता की बोवाई करने जा रहा है। इस साल तीनों विकासखंडों के 25 गांवों में 200 किसानों को साथ लेकर 30 हेक्टेयर जमीन में सरसों की बोवाई की जाएगी। इससे नए किसानों को भी लाभ मिलेगा। केवीके के वैज्ञानिक डॉ. अमित कुमार, डॉ. एनके सिंह, डॉ. संस्कृति सिंह और हरीश चंद्र जोशी योजना के क्रियान्वयन में सहयोग कर रहे हैं।

राष्ट्रीय तिलहन योजना के तहत चल रहा कार्यक्रम
बागेश्वर। सरसें की पैदावार बढ़ाने का यह कार्यक्रम राष्ट्रीय तिलहन योजना के तहत चल रहा है। केवीके के माध्यम से कलस्टरों के माध्यम से इसकी बोवाई की जा रही है। योजना का उद्देश्य किसानों की आय और बाजार में शुद्ध सरसों के तेल की उपलब्धता बढ़ाना है। अन्य किस्मों की तुलना में अधिक उपज देने वाली पंत श्वेता किस्म इसमें खरी उतर रही है। सरसों की पैदावार बढ़ेगी तो बाजार में बिकने वाले मिलावटी तेल और पॉम ऑयल से मुक्ति मिलेगी।

कोट
उन्नत किस्म के बीजों से किसानों की आर्थिकी सुधारने के लिए कार्य किया जा रहा है। पंत श्वेता का परीक्षण शानदार रहा। सरसों की अच्छी पैदावार होने से जिले के किसानों को आय बढ़ाने का नया विकल्प मिला है। कम जोत वाले किसान भी अपने उपयोग के अलावा बेचने के लिए सरसों पैदा कर सकते हैं। डॉ. राजकुमार, अध्यक्ष/केंद्र प्रभारी, केवीके काफलीगैर

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine






Most Popular

Recent Comments