Sunday, September 21, 2025
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राज्य में मिला 14वां स्थान आई गिरावट हल्द्वानी साफ नहीं रिपोर्ट ने खोलीं गंदगी की परतें

जिला प्रशासन से लेकर नगर निगम तक के अधिकारी हल्द्वानी को स्वच्छ बनाने के दावे करते रहे। स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाए और प्रचार में खूब खर्च भी किया। इस सब कवायदों के बावजूद हल्द्वानी की हालत साफ नहीं है। स्वच्छता सर्वेक्षण में गंदगी की परतें ऐसी खुलीं कि शहर रैकिंग में कई पायदान पीछे चला गया।स्वच्छता सर्वेक्षण-2024-25 के नतीजे जारी हो गए हैं। नगर निगम हल्द्वानी ने देश में 291वां स्थान प्राप्त किया है। यह प्रदर्शन पिछले साल से भी बुरा है। 2023-24 में शहर 211वें स्थान पर था। इससे पहले 2022-23 में नगर निगम को 282वीं, साल 2021-212 में 281वी और साल 2020-21 में 229वीं रैंक हासिल हुई थी। ग्रीन सिटी के नाम से पहचाने जाने वाले कुमाऊं के सबसे बड़े महानगर के लिए यह स्थिति चिंताजनक है।

नालों में कूड़ा फेंकते हैं लोग
नगर निगम ने सभी 60 वार्डों में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन की व्यवस्था की है। इसके बावजूद लोग घरों और प्रतिष्ठानों से निकलने वाले कूड़े-कचरे को नालों व सार्वजनिक स्थानों पर फेंकते हैं। इसे रोकने के लिए नगर निगम ने अभी हाल ही में कुछ स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं। निगम ऐसे लोगों का चालान भी कर रहा है। इसके बाद भी लोग आदतों से बाज नहीं आ रहे हैं।

राज्य की रैंकिंग में भी पिछड़ा
देश ही नहीं, राज्य के निकायों की रैंकिंग में भी हल्द्वानी नीचे जा रहा है। इस बार राज्य स्तर पर हल्द्वानी की रैकिंग 14वीं है जबकि पिछले साल शहर छठे स्थान पर था। साल 2019 में राज्य की रैंकिंग में हल्द्वानी नगर निगम का तीसरा स्थान था जोकि साल 2021 में चौथे नंबर पर पहुंच गया। निगम के अधिकारियों का कहना है कि पिछले साल यह सर्वेक्षण राज्य की 446 निकायों में हुआ था। तब निगम की रैंक 211 आई थी। इस बार 824 निकायों में हुए सर्वे में 291 वीं रैंक आई है।

वार्डों में सीवर लाइन का न होना और कूड़े का पहाड़ बना बाधक
नगर निगम के कई वार्डों में अभी तक सीवर लाइन की व्यवस्था नहीं है। कुछ वार्डों में सीवर लाइन बिछाई जा रही है। स्वच्छता सर्वेक्षण में सीवर लाइन के अलग से अंक मिलते हैं। सीवर लाइन न होने का खामियाजा भी निगम को उठाना पड़ा है। इसके अलावा कूड़ा निस्तारण की अभी तक कोई ठोस व्यवस्था यहां नहीं हुई है। ट्रंचिंग ग्राउंड पर मौजूद कूड़े का पहाड़ इसका उदाहरण है।

यह हैं स्वच्छता सर्वेक्षण के मानक
यह देखा जाता है कि जमीनी स्तर पर सफाई से जुड़े कार्यों में शहर कितनी प्रगति कर रहा है। शहर में पर्याप्त शौचालय हैं या नहीं। कचरे का संग्रहण कैसे किया जा रहा है। उसकी प्रोसेसिंग कैसे हो रही है। साफ सफाई को लेकर क्या कदम उठाए जा रहे हैं। शहर की साफ सफाई से नागरिक कितने संतुष्ट हैं। साफ सफाई को लेकर उनके द्वारा शिकायत किए जाने पर उसका समाधान होता है या नहीं। इस भाग में लोगों से शहर की साफ सफाई को लेकर फीडबैक लिया जाता है।इसमें शहरों को साफ सफाई के आधार पर रेटिंग दी जाती है। इससे यह पता चलता है कि शहर कितना कचरा मुक्त है और शहर ने साफ सफाई को लेकर कितनी प्रगति की है।एक स्वतंत्र संस्था की नियुक्त की जाती है। यह शहरों से मिली जानकारी को फोन कॉल और फील्ड वर्क से सत्यापित करती है। यह संस्था शहरों के अलग-अलग हिस्सों को चुनकर जांच करती है।जब यह सर्वे हुआ तब नगर निगम के पास न तो लीगेसी प्लांट था और न ही मटेरियल रिकवरी फैसेलिटी (एमआरएफ)। सर्वे में इन दोनों के 1500 नंबर होते हैं, जो सीधे घट गए। लीगेसी प्लांट मई में शुरू हुआ है और एमआरएफ की टेंडर प्रक्रिया चल रही है। भविष्य में स्वच्छता में कमियों को सुधारते हुए सर्वेक्षण में रैंकिंग सुधारने का प्रयास किया जाएगा। – ऋचा सिंह नगर आयुक्त हल्द्वानी।

एमआरएफ सेंटर को सीढ़ी बना स्वच्छता रैंकिंग में टॉप पर पहुंचे
स्वच्छता सर्वेक्षण की प्रदेश स्तरीय रैंक में पहला स्थान पाकर लालकुआं नगर पंचायत ने रिकॉर्ड बना दिया है। इस उपलब्धि की वजह नगर में कचरे के प्रबंधन के लिए मेटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) सेंटर शुरू करना मील का पत्थर साबित हुआ।पिछले वर्ष तक लालकुआं का कूड़ा हल्द्वानी भेजा जाता था। इसी वर्ष नगर में कचरे के प्रबंधन के लिए एमआरएफ सेंटर शुरू किया गया। इससे बरेली रोड के 60 गांवों की कूड़ा निस्तारण के लिए हल्द्वानी पर निर्भरता खत्म हो गई। सेंटर स्थापित होने के बाद नगर की सफाई व्यवस्था में काफी सुधार हुआ। इसके अलावा नगर पंचायत चुनाव से पूर्व प्रशासक परितोष वर्मा और अधिशासी अधिकारी राहुल कुमार सिंह ने वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट और स्वच्छता से जुड़ी अन्य परियोजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया। चुनाव के बाद नवगठित बोर्ड की ओर से वोटिंग प्रक्रिया और सार्वजनिक भागीदारी के माध्यम से स्वच्छता को जन आंदोलन में बदला गया जिसकी बदौलत स्वचछता के मामले में प्रदेश में पहली रैंक पाकर लालकुआं ने जिले के अन्य निकायों के लिए मिसाल पेश की है।दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित भव्य समारोह में नगर पंचायत अध्यक्ष सूरेंद्र लोटनी, अधिशासी अधिकारी राहुल कुमार सिंह, सभासद धनसिंह बिष्ट, भुवन पांडे, योगेश उपाध्याय, लिपिक सोनू भारती और सफाई नाटक वरुण प्रकाश ने संयुक्त रूप से यह पुरस्कार पाया। नगर पंचायत चेयरमैन सूरेंद्र लोटनी ने कहा कि पर्यावरण मित्रों, नगर पंचायत स्टाफ, पूर्व में रहे प्रशासक और क्षेत्रवासियों की जागरूकता से यह संभव हो पाया है।पिछले वर्ष भी लालकुआं नगर पंचायत को राज्य में अटल निर्मल पुरस्कार के तहत नगर पंचायत श्रेणी में प्रथम पुरस्कार से नवाजा गया था। अबकी बार केंद्र सरकार की से दिए गए सम्मान में पंचायत की श्रेणी में राज्य में प्रथम स्थान मिलना बड़ी उपलब्धि है। -राहुल सिंह, ईओ लालकुआं

सातवें से 45वें स्थान पर खिसका नैनीताल
स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग में नैनीताल पालिका परिषद का प्रदर्शन बीते पांच वर्षों से खराब होता जा रहा है। नैनीताल को इस वर्ष राज्य में 45वां और देश में 1029वां स्थान मिला है। सफाई व्यवस्था की निगरानी के लिए पालिका में अधिकारियों के पद रिक्त होना भी इसकी बड़ी वजह है। वर्ष 2024-2025 के सर्वे की रिपोर्ट में नैनीताल पालिका को 45वां स्थान मिला है। वर्ष 2020 में नैनीताल ने देश में 68वां जबकि प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया था। वर्ष 2022 में राज्य स्तर पर नगर चौथे स्थान पर रहा। वर्ष 2023-24 में फिर सातवें स्थान पर रहा। पर्यटन नगरी होने के बावजूद स्वच्छता रैंकिंग में यह गिरावट पालिका के लिए चुनौती है। इस वर्ष पालिका ने डोर टू डोर कूड़ा उठान तथा इसके निस्तारण के लिए निजी संस्था को ठेका दिया है। संस्था व बोर्ड के बीच विवाद और भुगतान पर रोक इस बात का प्रमाण है कि सफाई से बोर्ड संतुष्ट नहीं है। मुख्य सफाई निरीक्षक सुनित ने बताया कि अगले रैकिंग को बेहतर करने के लिए अभी से योजना बनाई जा रही है।

स्वच्छता में भीमताल प्रदेश में छठे और रामनगर 15 वें स्थान पर
भीमताल नगर पालिका ने स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 रैंकिंग में प्रदेश में छठा और जिले में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। साथ ही ओडीएफ प्लस प्लस सर्टिफिकेट भी हासिल किया है। इस उपलब्धि पर नगर पालिकाध्यक्ष सीमा टम्टा, ईओ उदयवीर सिंह और सभासदों ने खुशी जाहिर की है। चेयरमैन सीमा टम्टा ने कहा कि स्थानीय लोगों की स्वच्छता के प्रति जागरूकता और नगर पालिका की ओर से शहर को स्वच्छ बनाए रखने के लिए चलाए गए स्वच्छता अभियान के तहत यह रैंक मिली है। कहा कि नगर के सभी वार्डों से डोर टू डोर कूड़ा उठाया जाता है। घर-घर कूड़ेदान देने का सकारात्मक असर रहा है। ईओ उदयवीर सिंह ने सभी लोगों से नगर को स्वच्छ और साफ रखने की अपील की है।

रामनगर नगर पालिका प्रदेश में 15वें नंबर पर
स्वच्छता सर्वेक्षण में नगर पालिका रामनगर को प्रदेश में 15वां स्थान मिला है जबकि पिछली बार इस सूची में पालिका 17वें स्थान पर रही थी। हालांकि दो रैंक का सुधार बड़ी उपलब्धि नहीं है। बता दें कि वर्ष 2020, 2021 में पालिका इस सूची में प्रथम स्थान पर थी। इसके बाद से स्वच्छता सर्वेक्षण में रामनगर की रैंक में गिरावट बनी हुई है। नगर पालिका के ईओ आलोक उनियाल ने बताया कि स्वच्छ सर्वेक्षण में रामनगर की देश में 295 रैंक रही जो कि पिछले वर्ष से बेहतर है। प्रदेशभर में पालिका को 15वां स्थान मिला है। आगे भी सुधार किया जाएगा।

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