प्रदेश सरकार के लाख कवायदों के बाद भी सड़क हादसे में मृतकों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। आलम यह है कि पिछले साल के अपेक्षा बीते छह माह (जनवरी-जून 2025) में 18 प्रतिशत मृतकों की संख्या में वृद्धि हुई है। सड़क हादसों में मृतकों की संख्या को रोकने में गोरखपुर समेत प्रदेश के 65 जिले फिसड्डी साबित हुए हैं।जबकि गोरखपुर-बस्ती मंडल में सिर्फ कुशीनगर जिला हादसों के आंकड़ों में बेदाग रहा है। यातायात निदेशालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, इन दोनों मंडल के देवरिया, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, बस्ती, संतकबीरनगर, गोरखपुर जिलों में जनवरी-जून 2025 में सड़क हादसों में कई जिंदगियां खत्म हो चुकी हैं।सूबे के फिसड्डी जिलों के आंकड़ों में बीते छह माह में हुए 25830 हादसों में 14205 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 19430 लोग घायल हुए हैं। इसे देखते हुए प्रदेश सरकार ने नाराजगी जाहिर करते हुए छह बिंदुओं पर जवाब तलब किया है।
यातायात विभाग के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में वर्ष 2024 में 22391 सड़क हादसे में 12043 की मौत हुई, जबकि 16363 लोग घायल हुए थे। इस साल महज छह माह में ही 25830 हादसों में 14205 लोगों की जान चली गई, जबकि 19430 लोग घायल हुए हैं। इसमें सिर्फ गोरखपुर में ही छह माह में हुए 609 हादसे में 239 लोगों की मौत हुई है।जबकि 395 लोग घायल हुए हैं। खास बात यह है कि हादसे में घायल लोगों की जानकारी तो विभाग के पास है पर बाद में कितने लोगों की मौत हो गई, इसका डाटा नहीं है। पुलिस, पीडब्ल्यूडी, एनएचएआई, स्वास्थ्य विभाग में समन्वय स्थापित न होने और सार्थक प्रयास नहीं करने के चलते मृतकों की संख्या बढ़ती ही जा रही है
हादसों को रोकने के लिए हर माह लखनऊ में होती है बैठक : प्रदेश में सर्वाधिक हादसे वाले जिलों में दुर्घटनाएं व मृतकाें की संख्या में कमी लाने के लिए लखनऊ में हर माह बैठक की जाती है। बैठकों में प्रदेश के सभी जिलों के जिलाधिकारी, कप्तान, मंडलायुक्त, उप परिवहन आयुक्त, संभागीय परिवहन अधिकारी समेत अन्य अफसर मौजूद रहते हैं। इसके बाद भी कोई सार्थक कदम नहीं उठाया जा रहा है।







