वैज्ञानिकों ने बड़कोट को आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील बताया है। नगरपालिका क्षेत्र में गदेरों (पहाड़ी नालों) के मुहानों पर हो रही अनियंत्रित बसावट किसी बड़ी आपदा को न्यौता दे रही है। यमुना नदी और तीन गदेरों, यानी साडा, उपराड़ी, और बड़कोट के बीच बसे इस नगर पर कटाव और भू-धंसाव का खतरा लगातार मंडरा रहा है। कुछ महीने पहले, आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों की टीम ने भी बड़कोट के अस्तित्व पर चिंता जताई थी। साल 2000 में अतिवृष्टि के कारण उपराड़ी क्षेत्र में काफी नुकसान हुआ था, जिसके बाद वार्ड नंबर 7 को संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया गया था। हालांकि, इसके बाद कोई भी सुरक्षात्मक कार्य नहीं किया गया। इसी वजह से भू-धंसाव धीरे-धीरे बढ़ता गया है।
गदेरों के पास नियमों को ताक पर रखकर बेतरतीब ढंग से निर्माण हो रहा है, जिससे उनका मूल बहाव संकरा हो गया है।बड़कोट न केवल भू-धंसाव और कटाव से संवेदनशील है, बल्कि यह भूकंपीय जोन 5 में भी आता है, जो इसे और भी खतरनाक बनाता है। इसके बावजूद, न तो गदेरों के पास अनियंत्रित निर्माण रोका जा रहा है और न ही बहुमंजिला इमारतों पर कोई नियंत्रण है। नगरपालिका अध्यक्ष विनोद डोभाल ने बताया कि शहर के बाकी हिस्से को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने के लिए एक मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आईआईटी रुड़की की टीम ने भी निरीक्षण के बाद बड़कोट को संवेदनशील जोन में मानते हुए इसके उपचार की बात कही थी।