उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बाल तस्करी से जुड़े मामलों को त्वरित न्याय देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। हाईकोर्ट रजिस्टार जनरल योगेश कुमार गुप्ता की ओर से सभी जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को जारी परिपत्र में निर्देश दिए गए हैं कि प्रदेश की सभी ट्रायल कोर्ट छह माह के भीतर लंबित बाल तस्करी के मामलों का निस्तारण सुनिश्चित करें। यदि आवश्यक हो तो इन मामलों की सुनवाई दिन-प्रतिदिन के आधार पर की जाए। परिपत्र में सर्वोच्च न्यायालय के 15 अप्रैल 2025 को दिए गए आदेश का हवाला दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने पिंकी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में साफ कहा था कि बाल तस्करी जैसे संवेदनशील मामलों में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कोर्ट ने यह भी चेताया कि यदि निर्देशों का अनुपालन नहीं हुआ तो संबंधित अधिकारियों पर अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि यह आदेश प्रत्येक न्यायिक अधिकारी तक पहुंचाया जाए ताकि बाल तस्करी से जुड़े मामलों में शीघ्र न्याय सुनिश्चित हो सके। इस सख्ती से उम्मीद है कि पीड़ित बच्चों को जल्द न्याय मिलेगा और ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।
छह महीने में निपटाएं बाल तस्करी के मामले
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