चैती मंदिर जा रहे बाइक सवार युवक पर मधुमक्खियों ने हमला कर दिया। हमले में युवक गंभीर रूप से घायल हो गया। घायल अवस्था में उसको सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मोहल्ला कटरामालियान निवासी रोहित प्रजापति (32) पुत्र स्व. नन्हे सुबह लगभग सात बजे चैती मंदिर दर्शन करने बाइक से तीर्थ द्रोणासागर के पास टीले से सटे रास्ते से होकर जा रहा था। रास्ते में उस पर मधुमक्खियों के झुंड ने हमला बोल दिया। वह मधुमक्खियों के हमले में लगभग 20 से 25 मिनट तक घिरा रहा। युवक की चीख पुकार सुनकर आसपास के लोग घरों से बाहर आ गए। लोगों ने आनन-फानन में पुआल में आग लगाकर किसी तरह युवक को मधुमक्खियों से बचाया।
108 एंबुलेंस की मदद से उसे एलडी भट्ट उप जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया। सूचना मिलन पर परिजन अस्पताल पहुंच गए। प्राथमिक उपचार के बाद गंभीर हालत को देखते हुए उसे एसटीएच हल्द्वानी के लिए रेफर कर दिया। परिजन उसे हल्द्वानी लेकर जा ही रहे थे कि उसने अस्पताल से कुछ दूरी पर दम तोड़ दिया। युवक का गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार कर दिया। परिजनों के मुताबिक मृतक अपने पीछे पत्नी व एक वर्षीय बच्ची को रोता बिलखता छोड़ गया है। वह चार भाई-बहन है। वह बीते लगभग दस साल से उत्तराखंड एथलेटिक्स सलेक्शन कमेटी के चेयरमैन विजेंद्र चौधरी का वाहन चलाता था। विजेंद्र ने बताया कि पैर में मोच के कारण वह चार दिन से काम पर नहीं रहा था। गर्मी में मधुमक्खियां नई जगह की तलाश में रहती हैं। ऐसे में खतरा महसूस होने पर मिलकर धावा बोल देती हैं। यह डंक के साथ जहर छोड़ती हैं। दो से पांच सौ से अधिक डंक लगने पर व्यक्ति की जान जा सकती है। लिहाजा इस मौसम में मधुमक्खियों से बचकर रहना जरूरी है।
भूल कर भी नहीं लेटे जमीन पर
पंतनगर कृषि विज्ञान केंद्र के मधुमक्खी शोध एवं प्रशिक्षण केंद्र के संयुक्त निदेशक डॉ. प्रमोद कुमार मल्ल बताते हैं कि मधुमक्खियां डंक मारने के दौरान गंध छोड़ देती हैं, जो अन्य मधुमक्खियों को लगते ही वह भी अटैक कर देती है। ऐसे में जितनी दूर हो सके भाग जाएं या किसी घर में छिप जाएं लेकिन भूलकर भी लेटना नहीं चाहिए। यह खतरनाक साबित होगा। संभव हो तो डंक को बाहर निकालें, अंदर टूटने न दें, ज्यादा गहरा है तो डॉक्टर को दिखाएं। प्राथमिक उपचार के तौर पर डंक वाली जगह गीला कपड़ा रखें या बर्फ का सेक करें। पानी और बोरिक सोडे का मिश्रण लगा सकते हैं।