Wednesday, November 5, 2025
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बेबस लोगों ने बताई आपबीती आपदा में बह गईं खुशियां इस साल कैसे मनाएंगे त्योहार

मानसून खत्म होने से पहले ग्रामीण नवरात्र और दीपावली की खरीदारी के लिए योजना बना रहे थे लेकिन अब हम कैसे अपना यह त्योहार मनाए, जब हमारी खुशियां ही आफत की उस बारिश में बह गई हैं।यह बातें सहस्रधारा के ग्रामीणों ने अमर उजाला से मंगलवार को बात करते हुए कहीं। दोपहर के करीब ढाई बज रहे हें, सहस्रधारा के प्रवेश मार्ग से होते हुए अमर उजाला की टीम मजाड़ा गांव तक पहुंची। इससे पहले राजकीय प्राथमिक विद्यालय चौका चूंगा चामासारी में बच्चों की पाठशाला चल रही है। कुछ बच्चे विद्यालय के मैदान में खेल रहे हैं। आगे जाते ही मजाडा का वो रास्ता आ गया, जिसे आपदा अपने साथ बहा ले गई थी। जेसीबी मशीन से मलवे को हटाने का काम किया जा रहा है।

कुछ दिन पहले ही साफ हुए रास्ते से होते हुए ग्रामीण अपने गांव तक पहुंच रहे हैं। उधर आपदा के 15 दिन बाद स्थिति में थोड़ा तो सुधार आया है, लेकिन ग्रामीणों के चेहरे पर वह खुशी नहीं है, जो पहले पहले देखी जाती थी। ग्रामीण मलबे में दबे अपने गांव में बस इसलिए जा रहे हैं, ताकि वह अपने पशुओं के लिए चारा पत्ती की व्यवस्था कर सकें।इसके अलावा घरों में दबा सामान भी उन्हें मिल सके। लेकिन इसमें भी ग्रामीणों को मायूसी ही हाथ लग रही है। शाम होने से पहले ग्रामीण अपने घरों व अपने परिजनों के घरों के लिए निकल गए हैं। जिससे अंधेरे में कोई परेशानी न हो।

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