Wednesday, October 22, 2025
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गुजरात हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी धर्मांतरण पीड़ितों पर भी हो सकती है कार्रवाई

गुजरात हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर कोई व्यक्ति खुद को धर्म परिवर्तन का ‘पीड़ित’ बताता है, लेकिन बाद में दूसरों को धर्म बदलने के लिए दबाव डालता है, तो उसके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई हो सकती है। जस्टिस नीरजर देसाई की अदालत ने 1 अक्तूबर को यह टिप्पणी करते हुए कुछ याचिकाएं खारिज कर दीं। अदालत ने कहा कि जब कोई व्यक्ति दूसरों पर धर्म परिवर्तन का दबाव डालता है या लालच देता है, तो वह भी अपराध की श्रेणी में आता है।

पीड़ितों ने दूसरों पर डाला धर्म परिवर्तन का दबाव
याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि वे मूल रूप से हिंदू थे और दूसरों के दबाव में आकर इस्लाम में धर्मांतरित हुए। इसलिए वे खुद पीड़ित हैं, आरोपी नहीं। लेकिन अदालत ने पाया कि उन्होंने ही आगे चलकर दूसरों को धर्म बदलने के लिए प्रभावित किया और उन पर दबाव डाला।

क्या है पूरा मामला?
मामला भरूच जिले के आमोद पुलिस थाने का है। एफआईआर में आरोप है कि तीन लोगों ने करीब 37 हिंदू परिवारों के 100 से ज्यादा लोगों को लालच देकर इस्लाम में धर्मांतरित किया। जब एक व्यक्ति ने इसका विरोध किया तो उसे धमकाया गया, जिसके बाद उसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

एक विदेशी नागरिक पर फंडिंग करने का आरोप
इसके अलावा, एक विदेशी नागरिक पर भी धर्म परिवर्तन के लिए फंडिंग करने का आरोप है। अदालत ने उसके मामले में भी राहत देने से इनकार किया। अदालत ने कहा कि वह कई बार भारत आ चुका है और जांच में सहयोग नहीं कर रहा है। यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 120B (षड्यंत्र), 153ब (समुदायों में वैमनस्य फैलाना) और 295A (धार्मिक भावनाएं भड़काने वाले कृत्य) के तहत दर्ज किया गया है।

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