किसी ने नेपाल, तिब्बत और भूटान के साथी (महिला या पुरुष) से शादी की है तो उनका भी अब समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के तहत शादी का पंजीकरण हो सकेगा। यूसीसी की नियमावली में संशोधन को सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दे दी गई है। इसमें नेपाल मूल के लोगों के पास उनके स्थानीय प्रशासन से जारी वैध पहचान पत्र और भारत में कम से कम 180 दिन प्रवास का प्रमाणपत्र होना आवश्यक होगा।पिछले साल 27 जनवरी को यूसीसी लागू होने के बाद इसके क्रियान्वयन में कई तरह की कठिनाइयां आ रहीं थीं। ऐसे में इनमें समय-समय पर बदलाव के लिए एक हाईपावर समिति का गठन किया गया था। अब तक कई बदलाव यूसीसी में किए जा चुके हैं। इन्हीं में से एक समस्या थी कि यदि किसी की पत्नी या पति नेपाल, भूटान या तिब्बत का रहने वाला हो तो उसका पंजीकरण कैसे होगा।
यह कानून केवल उत्तराखंड के निवासियों पर लागू होता है तो इस तरह से पंजीकरण हो भी नहीं पा रहे थे। इसके लिए जरूरी था कि दोनों साथियों के पास उत्तराखंड का वैध आधार कार्ड हो।उत्तराखंड के कई इलाके ऐसे हैं जहां इन तीनों देश के मूल निवासियों के साथ प्राय: विवाह होते हैं और वे राज्य में प्रवास करते हैं। इस तकनीकी समस्या को अब हल कर दिया गया है। यदि किसी उत्तराखंड मूल के व्यक्ति या महिला का साथी इन तीनों देशों का रहने वाला है तो वह अब उनके वैध पहचान पत्र व भारत में वैध प्रवास अवधि के प्रमाणपत्र के आधार पर पंजीकरण कराया जा सकता है।
ये दस्तावेज होंगे जरूरी
आधार के अलावा अब नेपाल, भूटान के नागरिकों के लिए नेपाली व भूटानी नागरिकता प्रमाणपत्र होना जरूरी है। इसके साथ ही 182 दिनों से अधिक के प्रवास के लिए भारत में नेपाली मिशन और भूटान के नागरिक के लिए रॉयल भूटानी मिशन की ओर से जारी प्रमाणपत्र होना आवश्यक है। इसके अलावा तिब्बती मूल के व्यक्तियों के लिए विदेशी पंजीकरण अधिकारी की ओर से जारी वैध पंजीकरण प्रमाणपत्र को मान्य किया जाएगा।