Sunday, October 19, 2025
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हंगामे के बाद तबादला जानिये पूरा मामला शिक्षक के प्यार के भूत को पत्नी ने उतारा

राजकीय इंटर कॉलेज जैना रानीखेत में शिक्षक पवन कुमार और महिला बीएड प्रशिक्षु के बीच कथित प्रेम संबंध के मामले में विभाग ने एक्शन लिया है। जांच रिपोर्ट और साक्ष्यों के आधार पर मामला गंभीर पाए जाने पर मुख्य शिक्षा अधिकारी अत्रेय सयाना ने बड़ी कार्रवाई करते हुए आरोपी शिक्षक पवन कुमार को विद्यालय से हटा दिया है। फिलहाल शिक्षक को कार्यमुक्त कर अटैच करने की तैयारी की जा रही है। साथ ही प्रशिक्षु शिक्षिका को भी हटा दिया है। सोमवार को पवन कुमार की पत्नी राजेंद्री हल्द्वानी से अपने पिता के साथ विद्यालय पहुंची थी। यहां उसने पति के महिला प्रशिक्षु के साथ प्रेम संबंधों का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। इस दौरान दोनों पक्षों में मारपीट हुई।मामले की गंभीरता को देखते हुए विद्यालय में मंगलवार को अभिभावक संघ, विद्यालय प्रबंधन समिति और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की संयुक्त बैठक हुई। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि यदि दो दिन के भीतर शिक्षक का स्थानांतरण नहीं हुआ तो आंदोलन किया जाएगा। विद्यालय का बहिष्कार होगा। महिला बीएड प्रशिक्षु को भी विद्यालय से हटाने की मांग की गई। अभिभावक समिति द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों और जांच रिपोर्ट के आधार पर सीईओ ने तत्काल कार्रवाई की। इस कदम से अभिभावकों और क्षेत्रवासियों में संतोष की भावना देखी जा रही है। विद्यालय प्रबंधन समिति ने भी शिक्षा विभाग से आग्रह किया है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए शिक्षकों की गतिविधियों पर सख्त निगरानी रखी जाए।विद्यालय शिक्षा, अनुशासन और आदर्शों का केंद्र है। ऐसे मामलों में किसी भी प्रकार की लापरवाही या अनुचित व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। तत्काल प्रभाव से शिक्षक को कार्यमुक्त कर विद्यालय से हटाया गया है। आगे की विभागीय प्रक्रिया अमल में लाई जा रही है। –अत्रेय सयाना, मुख्य शिक्षाधिकारी अल्मोड़ा

क्या सिर्फ अटैच या स्थानांतरण ही पर्याप्त है
शिक्षक और महिला बीएड प्रशिक्षु के बीच कथित अवैध संबंधों का मामला अब केवल एक विद्यालय का नहीं बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की साख का सवाल बन गया है। घटना के बाद सीसीटीवी फुटेज और व्हाट्सएप चैट से आरोपों की पुष्टि होने के बावजूद, आरोपी शिक्षक पर केवल हटाने और अटैच करने की कार्रवाई की गई है। एक शिक्षक, जो बच्चों के लिए आदर्श माने जाते हैं, खुद अनुशासनहीनता के आरोप में घिर जाते हैं, तो उनके खिलाफ सिर्फ स्थानांतरण जैसी हल्की कार्रवाई क्या न्यायसंगत मानी जा सकती है।

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