काशीपुर। सरकार ने 2025 तक टीबी की बीमारी को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य रखा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ की योजना के तहत पहचान कर मरीज का मुफ्त इलाज चलने के साथ-साथ उन्हें अच्छा भोजन देने के लिए 500 रुपये महीने की सहायता राशि भी दी जा रही है। इस मर्ज को जड़ से खत्म करने के लिए राज्य सरकार की ओर से विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। कुछ दिनों से दवा की नियमित आपूर्ति न होने से एलडी भट्ट राजकीय उपजिला चिकित्सालय समेत जिले, प्रदेश के अस्पतालों में दवा का संकट खड़ा हो गया है। मरीजों ने बताया कि मार्च से टीबी की दवा खा रहे हैं। क्षय रोगियों को दी जाने वाली दवा का सरकारी अस्पतालों में संकट गहरा गया है। मरीज बाहरी मेडिकल स्टोर से महंगी दवा खरीदने को विवश हैं। शीघ्र ही समस्या का समाधान नहीं होने पर मरीजों की जान पर भी बन सकती है।
विभागीय अधिकारी केंद्र स्तर से दवा खरीदने में समस्या होने की बात कह रहे हैं। हालांकि व्यवस्था सुधरने में एक महीने का दावा किया जा रहा है।करीब 15 दिनों से अस्पताल से दवा नहीं मिली है। बाहरी मेडिकल स्टोर से खरीदनी पड़ रही है। शनिवार को भी अस्पताल में दवा नहीं मिली है। ऐसे कई मरीज दवा के अभाव में वापस लौट रहे हैं। अस्पताल के डॉटस सेंटर मिली जानकारी के अनुसार 23 अप्रैल को 120 स्टिप सीपी दवा पहुंची थी। यह दवा 56 दिन के बाद शुरू होती है। इससे पहले आईपी दवा मरीज को खिलाई जाती है। संवाद
दवा छूटने पर बढ़ सकते हैं एमडीआर के मरीज
काशीपुर। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक टीबी के मरीज को नियमित और समय से वजन के अनुसार दवा का सेवन करना चाहिए। दवा छोड़ना और तीन दिन से अधिक गैप करने पर दिक्कत बढ़ सकती है। फिर से दवा शुरू करने पर काम नहीं करती है, और मरीज एमडीआर मरीज की श्रेणी में जा सकता है। यह जटिल टीबी मानी जाती है। इस श्रेणी के मरीजों के थूकने, खांसने, छींकने से स्वस्थ व्यक्ति में संक्रमण फैलने का खतरा रहता है।
कोट
टीवी की दवा सीपी और आईपी दोनों की कमी बनी हुई है। यह समस्या केंद्र स्तर से होने की बात सामने आ रही है। ऊधमसिंह नगर जिले में करीब 2500 मरीज टीबी की दवा खा रहे हैं। 400 स्टिप सीपी की मिली हैं। जिन्हें अस्पतालों को भेजा रहा है। समस्या का स्थायी समाधान होने में करीब एक महीने का समय लग सकता है। – डॉ. मनोज शर्मा, सीएमओ, ऊधमसिंह नगर