हजपुरा(अंबेडकरनगर)। सम्मनपुर के कहरा सुलेमपुर (मुरलीनगर) में श्री रामलीला समिति की ओर से रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। मंगलवार देर शाम राम-केवट संवाद का मंचन हुआ। दृश्य में दिखाया गया कि राम, लक्ष्मण व सीता के वनवास चले जाने के बाद राजा दशरथ बेसुध होकर श्रवण के माता-पिता के श्राप को याद कर रहे हैं। दिखाया गया कि वे एक बार शिकार को वन में गए। राजा दशरथ के शब्दभेदी वाण से अपने माता-पिता के लिए पानी लेने गए श्रवण की मौत हो गई। श्रवण की मौत के बाद जब दशरथ उनके अंधे माता-पिता को पानी पिलाने गए तो अपने पुत्र श्रवण के वियोग में रो-रोकर श्राप देते हैं कि जैसे हम अपने पुत्र के वियोग में प्राण त्याग रहे हैं, वैसे ही आपको भी पुत्र वियोग में प्राण त्यागना पड़ेगा। उधर, भगवान श्रीराम जंगल पहुंचते है। यहां पर श्रीराम गंगा पार करने के लिए केवट को बुलाते हैं, लेकिन केवट कहता है कि मैं आपके प्रभाव को जानता हूं। मेरी नाव तो पत्थर से भी कोमल है।
राम-केवट संवाद ने दी भक्ति और मानवता की सीख
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