सर्दियों के मौसम में पहाड़ों में उत्पादित होने वाली गडेरी की मैदानों तक मांग रहती है। बीते वर्षों से जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में जंगली सुअरों की धमक बढ़ने से किसानों ने गडेरी का उत्पादन कम कर दिया है। उत्पादन कर रहे किसान भी कड़ी मशक्कत कर गडेरी की खेती को सुअरों से बचा रहे हैं। खेती करने में अधिक मेहनत और उत्पादन कम होने से बाजार में गडेरी के दामों में बढ़ोतरी हो रही है।कभी सर्दी के मौसम में पहाड़ में विशेष रूप से खाई जाने वाली गडेरी का जायका अब महंगा होता जा रहा है। पिछले साल 40 से 45 रुपये प्रति किलो की दर से बिकने वाली गडेरी इस बार 60 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रही है। जिले में दो साल पहले तक 10 से 15 क्विंटल से अधिक गडेरी का उत्पादन होता था। अब सात-आठ क्विंटल से अधिक पैदावार नहीं हो रही है।
सब्जी व्यापारी भूपेंद्र जोशी ने बताया कि गडेरी मौसमी सब्जी के रूप में बाजार में आती है। पहले से किसान अधिक मात्रा में इसका उत्पादन करते थे जिससे बाजार में यह कम दाम पर उपलब्ध हो जाती थी लेकिन अब ग्रामीण क्षेत्रों में जंगली सुअरों की धमक बढ़ने लगी तो गडेरी की कीमतों में बीते दो वर्षों से उछाल देखा रहा है। चार-पांच क्विंटल गडेरी बाजार में लाने वाले किसान महज एक से दो क्विंटल गडेरी ही ला रहे हैं।बाजार में गडेरी की मांग अधिक है। जिले में उत्पादन कम होने से बाहरी जिलों से भी गडेरी मंगानी पड़ रही है जिससे उनके दामों में बढ़ोतरी हो रही है। – महेश गोस्वामी, व्यापारी
गडेरी की खेती करना अब आसान नहीं है। जंगली जानवरों से इसे बचाना आए दिन कठिन होता जा रहा है। इससे गांव में किसानों ने उत्पादन करना कम कर दिया है। – रमेश पांडेय, किसान, छौना







