Sunday, November 9, 2025
advertisement
Homeउत्तराखण्डउत्तराखंड रजत जयंती धारण क्षमता का विश्लेषण भी जरूरीगैरसैंण राजधानी बनेगी तो...

उत्तराखंड रजत जयंती धारण क्षमता का विश्लेषण भी जरूरीगैरसैंण राजधानी बनेगी तो क्या कम होगा दून का बोझ

उत्तराखंड में गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की चर्चाओं के बीच भविष्य के रोडमैप का सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या देहरादून की तरह गैरसैंण अनियंत्रित विकास, बढ़ती आबादी का बोझ वहन कर सकेगा। क्या गैरसैंण में विधानसभा सत्र होने के बाद अधिकारियों को दून आने से रोका जा सकेगा। क्या वहां इतना इंफ्रास्ट्रक्चर हो सकेगा कि लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं आसानी से मिल सकें।विशेषज्ञ मानते हैं कि राजधानी का स्थानांतरण सिर्फ प्रतीकात्मक निर्णय नहीं होना चाहिए बल्कि इसके साथ ठोस योजना और धारण क्षमता का वैज्ञानिक अध्ययन अनिवार्य है। राज्य गठन के बाद वर्ष 2001 की जनगणना में देहरादून शहर की आबादी करीब 4.26 लाख थी जो कि 2011 की जनगणना में बढ़कर 5.75 लाख का आंकड़ा पार कर गई। 2025 में देहरादून शहर की आबादी करीब 10 लाख पहुंच चुकी है। ट्रैफिक जाम, जल संकट और प्रदूषण जैसी समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं। 2023 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (एनआईयूए) की रिपोर्ट के अनुसार, दून की जनसंख्या हर साल 3-4 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है जबकि आधारभूत ढांचा सिर्फ एक प्रतिशत की रफ्तार से विकसित हो पा रहा है।

गैरसैंण राजधानी में कर्मचारी बसेंगे तो क्या जरूरत होगी
गैरसैंण के भराड़ीसैंण में विधानसभा भवन और विधायकों, मंत्रियों, अधिकारी-कर्मचारियों के आवास सीमित संख्या में बनाए गए हैं। विधानसभा सत्र होने पर यहां निवास की परेशानी होती है। गैरसैंण जलवायु अनुकूल है लेकिन भूमि सीमित है। विशेषज्ञों के मुताबिक, स्थायी राजधानी बनने की सूरत में 20 हजार से अधिक स्थायी सरकारी कर्मचारियों को बसाने के लिए पानी और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के साथ ही यातायात जैसी चुनौतियां भी प्रमुख होंगी। नीति आयोग ने 2022 की रिपोर्ट में सुझाव दिया था कि राजधानी के साथ ही रीजनल डेवलपमेंट मॉडल अपनाना चाहिए ताकि, दून, गैरसैंण, हल्द्वानी और श्रीनगर जैसे शहरों का समान रूप से विकास हो सके।

दून की भूमिका बनी रहेगी
विशेषज्ञ मानते हैं कि राजधानी गैरसैंण में स्थानांतरित करने से केवल प्रशासनिक बोझ कम होगा लेकिन देहरादून की भूमिका एक शैक्षिक, औद्योगिक और वाणिज्यिक केंद्र के रूप में बनी रहेगी। हालांकि दून में इन सबके बीच अनियंत्रित विकास ने हालात काफी चिंताजनक कर दिए हैं।

spot_img
spot_img
spot_img
RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine
https://bharatnews-live.com/wp-content/uploads/2025/10/2-5.jpg





Most Popular

Recent Comments