Wednesday, November 12, 2025
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वैज्ञानिकों ने थिलेरियोसिस का सस्ता और कारगर निदान खोजा गायों के लिए कवच बनेगा टिका

थिलेरियोसिस एक प्रोटोजोआ परजीवी से फैलने वाला रोग है, जिसका वैज्ञानिक नाम थिलेरिया एनाॅलाटा है। यह रोग मुख्यतः गाय, भैंस और बछड़ों को प्रभावित करता है। खासकर संकर और विदेशी नस्लों की गायों में अधिक पाया जाता है जबकि देशी नस्ल के पशु अपेक्षाकृत मजबूत रहते हैं। इस रोग का प्रसार किलनियों के माध्यम से होता है। संक्रमित किलनी जब किसी स्वस्थ पशु का खून चूसती है तो परजीवी उसके शरीर में पहुंच जाता है। अगर आपके पास गाय या भैंस है तो यह खबर आपके लिए राहत भरी हो सकती है। दुधारू पशुओं में जानलेवा परजीवी रोग थिलेरियोसिस अब पंतनगर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की मेहनत से काबू में आ सकता है। विश्वविद्यालय के पशु वैज्ञानिकों ने शोध में पाया है कि सिर्फ 200 रुपये का एक टीका इस घातक बीमारी को पूरी तरह रोक सकता है।

परजीवी पहले लसिका ग्रंथियों में पहुंचकर सूजन पैदा करता है। फिर रक्त कोशिकाओं पर हमला करता है। धीरे-धीरे लाल रक्त कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं, जिससे पशु कमजोर होने लगता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह रोग दूध देने वाले पशुओं में 70 से 80 प्रतिशत तक उत्पादन घटा देता है और कई बार उनकी जान तक ले लेता है। रोगग्रस्त बछड़ों में माताओं से प्राप्त रोग प्रतिरोधक क्षमता कई बार उन्हें बचा लेती है लेकिन वयस्क पशुओं के लिए यह रोग जानलेवा साबित हो सकता है। इसका संक्रमण अधिकतर गर्मी और बरसात के मौसम (जून से अक्तूबर) में फैलता है।

थिलेरियोसिस के लक्षण
तेज बुखार (104-107 डिग्री फारेनहाइट तक)
गर्दन या कान के पास लसिका ग्रंथियों में सूजन
खाना व जुगाली कम करना
दस्त या रक्त मिश्रित गोबर
दूध उत्पादन में भारी गिरावट
शरीर का भार घट जाना और कमजोरी
आंखों व नाक से स्राव होना

निदान और उपचार
इस रोग की पहचान आमतौर पर तेज बुखार और लसिका ग्रंथियों की सूजन से की जाती है।
उपचार के लिए सबसे प्रभावी दवा बूपारवाकोन है, जिसे शरीर के भार के अनुसार अंतःमांसपेशी में दिया जाता है।
इसके साथ डाइमिनाजिन एसीचूरेट और ऑक्सीटेट्रासाइक्लीन भी सहायक उपचार के रूप में दी जाती हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीन लगवाना ही सबसे सुरक्षित और किफायती उपाय है।

नई वैक्सीन को विश्वविद्यालय में किए गए परीक्षणों में शत-प्रतिशत सफल पाया गया है। अब मात्र दो सौ रुपये के टीके से पशुओं में बोवाइन ट्रॉपिकल थिलेरियोसिस बीमारी की रोकथाम हो सकेगी। -डॉ. राजीव रंजन, एसोसिएट प्रोफेसर, वेटरिनरी पैरासिटोलॉजी विभाग, पंतनगर विश्वविद्यालय

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