धर्मनगरी को मिली करीब 170 करोड़ की एक और सौगात लौट गई। शासन ने स्वीकार किया है कि हरिद्वार में आयुर्वेद एम्स का निर्माण नहीं हो सकता है यह कुंभ मेला क्षेत्र है। इससे पूर्व पॉड टैक्सी परियोजना, हरिद्वार ऋषिकेश रेल मेट्रो परियोजना और कॉरिडोर जैसे विकास परक योजनाओं की उम्मीदों की आस थी। अब आयुर्वेद एम्स की स्थापना से भी पानी फिर गया।इसमें धर्मनगरी के विकास में दो पहलू भी सामने आ रहे हैं। पहला कुंभ और कांवड़ मेले का जनसैलाब संभालने के लिए खाली स्थान को संरक्षित करने की चुनौती। दूसरी शहर के बीच में बड़े संस्थान के संचालन का बोझ। वित्तिय स्वीकृति मिलने के बाद भी इस इस बार जब कार्ययोजना को लेकर सर्वे किया गया तो कुंभ क्षेत्र की गंभीरता को लेकर कमेटी ने रिपोर्ट सौंप दी है।व्यय वित्त कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर आयुष सचिव दीपेंद्र चौधरी ने पूर्व में प्रस्तावित ऋषिकुल आयुर्वेद कॉलेज के उच्चीकरण की योजना पर विराम लगा दिया। इसमें उन्होंने कुंभ क्षेत्र और शहर के बीचो-बीच स्थित ऋषिकुल ग्राउंड को खाली रखने की संस्तुति को आधार माना। शासन ने निर्णय लिया है कि समूचे शहर में बैरागी कैंप को छोड़कर केवल ऋषिकुल ग्राउंड ही है जहां पर भीड़ नियंत्रण बड़े आयोजन को सफलता पूर्वक संपन्न किया जा सकता है।
ऐसे में यदि यहां आयुर्वेद एम्स का निर्माण किया गया तो छोटे बड़े स्नान पर्व और कुंभ या कांवड़ का आयोजन किसी भी दशा में संपन्न कराना मुश्किल होगा।मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद लिया गया निर्णय : मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बीते 24 सितंबर को हुई बैठक में पूरी योजना को परिवर्तित किया गया। इसमें व्यय-वित्त समिति की बैठक में हरिद्वार के प्रस्तावित ऋषिकुल आयुर्वेद कॉलेज को उच्चीकृत करते हुए आयुर्वेद एम्स बनाने की योजना को समिति और शासन ने गलत माना।इसमें बताया गया कि हरिद्वार के मध्य शहर में ऋषिकुल आयुर्वेद कॉलेज स्थित है। यहां कुंभ और कांवड़ मेले का आयोजन किया जाता है। यदि यहां पर ऋषिकुल ग्राउंड पर एम्स की योजनाओं के तहत निर्माण हुआ तो आयोजन में अड़चन आएगी। समिति ने रिपोर्ट में बताया कि कुंभ मेला क्षेत्र होने के कारण खुले क्षेत्र की अत्यन्त आवश्यकता है।
केंद्र सरकार से मिली थी स्वीकृति
केंद्र सरकार ने देश में अब तक दो अखिल भारतीय आयुर्वेद शोध संस्थान (अइया) की स्थापना किया है। इसमें एक दिल्ली में दूसरा गोवा में संचालित किया जा रहा है। उत्तराखंड राज्य योग और आयुर्वेद की दिशा में नित नूतन नवाचार कर रहा है। ऐसे में तीसरे आयुर्वेद एम्स की परिकल्पना हरिद्वार में पूरी करने की स्वीकृति भी दे दी थी। अब सर्वे के बाद यह स्पष्ट किया गया कि कुंभ मेला क्षेत्र में नए निर्माण को स्वीकृति नहीं दी जा सकती है। ऐसे में स्वीकृत बजट के लिए जिलाधिकारी हरिद्वार, नैनीताल और उधमसिंह नगर को निर्देशित किया गया है कि वह अपने क्षेत्र में आयुर्वेद एम्स स्थापना की संभावनाओं को लेकर प्रयास शुरू करें। राज्य में प्रस्तावित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की स्थापना के लिए भूमि की उपलब्धता जिस जिले में सुगम तरीके से हो सकेगी अब वहां पर विचार किया जाएगा।
गुरुकुल हर्रावाला मुख्य परिसर को विकल्प रखें
समिति की रिपोर्ट के अनुसार मुख्य सचिव ने उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर हर्रावाला, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय को विकल्प में रखने का निर्णय लिया है। इसमें अन्य दो जिलों नैनीताल और उधमसिंह नगर को भी भूमि की उपलब्धता के आधार पर प्रस्ताव बनाकर व्यय वित्त समिति के समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए है राज्य में प्रस्तावित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की स्थापना के लिए कुल 15 एकड़ के आस-पास वह भी निशुल्क भूमि चिन्हित करने के निर्देश दिए गए हैं।







