हल्द्वानी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के मौके पर शनिवार को पनियाली स्थित बैंक्वेट हॉल में भारत-नेपाल हिमालयी लोक संस्कृति परिषद की ओर से एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन में मौजूदा समय में हिमालयी चुनौतियों पर चर्चा की गई। मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक डॉ. शैलेंद्र ने कहा कि वर्तमान में हिमालयी संस्कृति कई चुनौतियों से गुजर रही है। सभी को इन चुनौतियों का मिलकर मुकाबला करना होगा। उन्होंने कहा कि हिमालय केवल भूगोल नहीं बल्कि हमारी चेतना है। इसकी रक्षा समाज की साझा जिम्मेदारी है। मेयर गजराज सिंह बिष्ट ने कहा हिमालयी महिला केवल परिवार की आधारशिला नहीं, बल्कि सामाजिक व्यवस्था की धुरी है। दिल्ली विश्वविद्यालय की सीपीडीएचई निदेशक प्रो. डॉ. गीता सिंह ने कहा कि जब शिक्षा अपनी जड़ों से जुड़ती है तो वह ज्ञान बनती है। हिमालयी महिला इस ज्ञान परंपरा की प्रथम संवाहक और पीढ़ियों की संस्कार वाहक हैं। तिब्बती पार्लियामेंट इन एक्साइल के पूर्व डिप्टी स्पीकर आचार्य येशी फुंटसोक ने भारत और तिब्बत के सांस्कृतिक संबंधों को रेखांकित करते हुए कहा कि हिमालय हमारे बीच सीमा नहीं, बल्कि साझा आध्यात्मिक विरासत है। प्रसिद्ध नेपाली लोक कलाकार इब्सल संजयाल ने भाषा, लोककला और संगीत को संस्कृति का जीवन बताया। यहां विजय लक्ष्मी चौहान, रमेश चंद्र सिंह बिष्ट, बृजेश भट्ट आदि मौजूद रहे।
हिमालय केवल भूगोल नहीं बल्कि हमारी चेतना डाॅ.शैलेंद्र
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