Sunday, November 23, 2025
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चेकिंग और कार्रवाई के निर्देश घटनाओं ने झकझोरा तब जाकर बने नशा मुक्ति केंद्रों के लिए नियम

नशा मुक्ति केंद्र में हुई एक के बाद एक घटनाओं ने सिस्टम को झकझोरा तब जाकर इनके लिए नियम बने। इससे पहले यहां कभी किसी की हत्या हुई तो किसी ने प्रताड़ना से तंग आकर खुद ही मौत का रास्ता चुन लिया। युवतियों के साथ दुष्कर्म तक के आरोप शहर के नशा मुक्ति केंद्र के संचालकों पर लगे।पिछले साल नशा मुक्ति केंद्रों के लिए एक स्पष्ट नियमावली बनी और अब निगरानी के लिए प्राधिकरण भी बनाया गया है। ताकि, जो नियम कायदे इनके लिए बने हैं उनका पालन सुनिश्चित कराया जा सके। देहरादून जिले में 40 से ज्यादा नशा मुक्ति केंद्र हैं। इनमें कई तरह की प्रताड़नाओं और घटनाओं के किस्सों के बाद नियमों की बात उठने लगी तो सरकार भी हरकत में आई। क्लेमेंटटाउन, राजपुर, रायपुर क्षेत्र के नशा मुक्ति केंद्रों से कई बार युवक-युवतियों का भाग जाने के मामले भी सामने आए हैं।पुलिस जब जांच करती थी तो पता चलता था कि यहां इलाज नहीं बल्कि उन्हें मारपीट कर नशा छोड़ने के लिए कहा जाता था। नियम कायदों के बिना चलने वाले इन नशा मुक्ति केंद्रों पर बार-बार दिशा निर्देश का भी कोई असर नहीं चलता था। यहां न डॉक्टर होते हैं न ही उन्हें बुलाया जाता है। ऐसा कई बार प्रशासन के औचक निरीक्षणों में सामने आ चुका है।ृ

प्रमुख घटनाएं
मार्च 2023 : नया गांव स्थित एक नशा मुक्ति केंद्र में सहारनपुर के युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई थी। भाई की तहरीर पर संचालकों पर केस।
अप्रैल 2023 : पटेलनगर क्षेत्र में नशा मुक्ति केंद्र में युवक की मौत। संचालकों ने शव युवक के घर के बाहर फेंका। चार लोगों पर दर्ज हुआ था मुकदमा।
नवंबर 2022 : मांडूवाला में स्थित एक नशा मुक्ति केंद्र में युवक ने फांसी लगाई। पता चला वहां पर प्रताड़ना होती थी।
अक्तूबर 2022 : वसंत विहार थाना क्षेत्र में एक नशा मुक्ति केंद्र से एकसाथ 10 युवा फरार हुए। कहानी सामने आई कि वहां इलाज के बजाय प्रताड़ना दी जाती थी।
अगस्त 2022 : तपस्थली स्थित एक नशा मुक्ति केंद्र से चार युवती भागीं। एक मिली तो बताया कि उसके साथ दुष्कर्म हुआ।
दिसंबर 2021 : लाइफ केयर नाम के नशा मुक्ति केंद्र में युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत।

ये हैं नियम:
कमरे में बंधक बना कर नहीं रख सकते हैं।
चिकित्सीय परामर्श पर नशा मुक्ति केंद्रों में मरीज को रखा जाएगा।
डिस्चार्ज भी चिकित्सकीय परामर्श के आधार पर ही किया जाएगा।
केंद्र में फीस, ठहरने, खाने का मेन्यू प्रदर्शित करना होगा।
मरीजों के इलाज के लिए मनोचिकित्सक, चिकित्सक रखना होगा।
केंद्र में रोगियों के लिए खुली जगह होनी चाहिए।
मानसिक रोगी को परिजनों से बात करने के लिए फोन की सुविधा दी जाएगी।
कमरों में एक बेड से दूसरे बेड की दूरी भी निर्धारित की गई है।

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