राज्य सरकार ने इस बार गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2275 रुपये निर्धारित किया है। इसके साथ ही कुमाऊं में गेहूं खरीद का लक्ष्य 39000 मीट्रिक टन तय किया गया था। इसके बाद पहली अप्रैल को खाद्य, सहकारिता, नैफेड, एनसीसीएफ व यूकेपीसीयू की ओर से कुमाऊं भर में क्रय केंद्र खोले गए। ऊधमसिंह नगर की बात की जाए तो यहां कुल 47 क्रय केंद्र स्थापित हैं। इनमें खाद्य विभाग के नौ, यूसीएफ के 35 और एनसीसीएफ के तीन क्रय केंद्र हैं। इनमें खाद्य विभाग, नैफेड व यूकेपीसीयू को 6000-6000 मीट्रिक टन, यूसीएफ को 20000 मीट्रिक टन, एनसीसीएफ को 1000 मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य मिला था। हालांकि अभी तक खाद्य व सहकारिता विभाग के क्रय केंद्र ही खरीद का खाता खोल सके हैं।
कुमाऊं में सरकार की ओर से लगाए गए क्रय केंद्रों पर गेहूं की खरीद लक्ष्य तो दूर उससे कोसो दूर है। अब गेहूं की कटाई खत्म होने वाली है और 35 दिनों में सिर्फ 166.450 मीट्रिक टन ही गेहूं खरीदा जा सका है। चंपावत जिले में गेहूं सरकारी खरीद शून्य ही रही है।चंपावत में तो सरकार की तरफ से लगे क्रय केंद्रों पर गेहूं खरीद का शुभारंभ ही नहीं हो पाया। आरएफसी बीएल फिरमाल के मुताबिक खाद्य विभाग की ओर से ऊधमसिंह नगर जिले में एक किसान से 1.850 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया। जबकि नैनीताल व चंपावत में खरीद ही नहीं हो पाई। सहकारिता विभाग अब तक नैनीताल में दो किसानों से 4.950 मीट्रिक टन, ऊधमसिंह नगर में 35 किसानों से 159.650 मीट्रिक टन कुल 164.600 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद कर चुका है जबकि चंपावत में एक दाना भी नहीं तुला। कुल मिलाकर इस बार 38 किसानों से सिर्फ 166.450 मीट्रिक टन ही गेहूं की खरीद हो सकी है। क्रय केंद्रों पर गेहूं की खरीद न होने के पीछे सरकार की ओर से तय एमएसपी 2275 कम होना माना जा रहा है। बाजार भाव इस बार अधिक रहा है।
मंडी में 145327.872 मीट्रिक टन गेहूं की आवक
रुद्रपुर। वरिष्ठ विपणन अधिकारी हल्द्वानी के अनुसार इस बार मंडी में 145327.872 मीट्रिक टन गेहूं की आवक हुई है। इसमें नैनीताल जिले की मंडियों में 9208.75 मीट्रिक टन, ऊधमसिंह नगर की मंडी में 132869.922 मीट्रिक टन एवं चंपावत की मंडी में 3249.2 मीट्रिक टन गेहूं की आवक हुई।
रूस-यूक्रेन युद्ध से गेहूं के निर्यात में कमी से बढ़ी खपत
रुद्रपुर। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से इस बार गेहूं के निर्यात में भारी कमी आई है। दोनों ही देश गेहूं के बड़े निर्यातक हैं। इस युद्ध से विश्व में गेहूं की खपत बढ़ गई। पिछले दो साल से रूस-यूक्रेन का युद्ध निरंतर जारी है। ऐसे में गेहूं का निर्यात प्रभावित हो गया है। इस वजह से भी देशों में गेहूं की खपत बढ़ना माना जा रहा है। किसान बताते हैं कि सरकार ने गेहूं खरीद का जो न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया, वो बाजार से कम है। बाजार में गेहूं के दाम अधिक हैं।