Saturday, December 20, 2025
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ईडी ने रिलायंस पावर और उसकी सहयोगी कंपनियों के खिलाफ दायर किया आरोपपत्र फर्जी बैंक गारंटी मामला

कारोबारी अनिल अंबानी के समूह की कंपनी रिलायंस पावर लिमिटेड और दस अन्य के खिलाफ धनशोधन मामले में आरोपपत्र दायर किया है। यह 68 करोड़ रुपये की कथित फर्जी बैंक गारंटी जमा कर टेंडर हासिल करने से जुड़ा मामला है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार को यह जानकारी दी।आरोपपत्र में अन्य आरोपियों में रिलायंस पावर के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी अशोक कुमार पाल, रिलायंस एनयू बीईएसएस लिमिटेड और रोसा पावर सप्लाई कंपनी लिमिटेड (दोनों रिलायंस पावर की सहायक कंपनियां), ओडिशा की एक मुखौट (शेल) कंपनी बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड, उसके प्रबंध निदेशक (एमडी) पार्थ सारथी बिस्वाल, बायोथेन केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड और ट्रेड फाइनेंसिंग कंसल्टेंट अमरनाथ दत्ता का नाम शामिल है।कुछ अन्य आरोपियों में रविंदर पाल सिंह चड्ढा, मनोज भाई पोंगडे और पुनीत नरेंद्र गर्ग भी शामिल हैं। अधिकारियों के मुताबिक, आरोपपत्र शुक्रवार को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में धनशोधन निरोधक कानून (पीएमएलए) के तहत दाखिल किया गया। मामला 68.2 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी से जुड़ा है। सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेकी) के एक टेंडर को हासिल करने के लिए रिलायंस एनयू बीईएसएस लिमिटेड की ओर से जमा की गई थी। यह कंपनी रिलायंस पावर की सहायक और एक सूचीबद्ध कंपनी है।

पहले इसका नाम महाराष्ट्र एनर्जी जेनरेशन लिमिटेड था।ईडी की जांच में यह बात सामने आई कि रिलायंस समूह के अधिकारी अच्छी तरह जानते थे कि यह बैंक गारंटी ‘फर्जी’ है। सेकी को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के एक जाली ईमेल आईडी से ‘धोखाधड़ी भरी’ मंजूरी दी जा रही थी। जब सेकी ने इस फर्जीवाड़े का पता लगाया, तो रिलायंस समूह ने एक ही दिन में आईडीबीआई बैंक से वास्तविक बैंक गारंटी जारी करवा दी। लेकिन सेकी ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया क्योंकि यह तय तारीख के बाद जमा की गई थी। ईडी ने कहा कि रिलायंस एनयू बीईएसएस लिमिटेड दूसरी सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी (एल-2 बिडर) थी। इसलिए टेंडर बचाने के लिए रिलायंस समूह के अधिकारियों ने कोलकाता की एक एसबीआई शाखा से उस फर्जी विदेशी बैंक गारंटी की नई मंजूरी दिलाने की भी कोशिश की।रिलायंस समूह ने पहले कहा था कि अनिल अंबानी पिछले साढ़े तीन वर्षों से रिलायंस पावर लिमिटेड के बोर्ड में नहीं हैं और इस मामले से उनका कोई संबंध नहीं है। कंपनी ने खुद को इस मामले में ‘धोखाधड़ी, जालसाजी और साजिश’ का शिकार बताया था और सात नवंबर 2024 को शेयर बाजार में इसकी जानकारी दी थी।

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