हल्द्वानी। राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के बाल रोग विभाग की ओर से नवजात पुनर्जीवन विषय पर कार्यशाला हुई। प्रतिभागियों को नवजात पुनर्जीवन की नवीनतम तकनीकों, उपकरणों के उपयोग और आपातकालीन परिस्थितियों में त्वरित प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया। विशेषज्ञों ने बताया प्रसव के तुरंत बाद नवजात की श्वसन प्रक्रिया को सुचारू रखना अत्यंत आवश्यक है। लगभग 25 से 30 प्रतिशत नवजात शिशुओं की मृत्यु जन्म के समय सांस न ले पाने के कारण होती है।
बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. रितु रखोलिया ने बताया कि जन्म के बाद जब शिशु बाहरी वातावरण में आता है तो पहले मिनट में उसका स्वयं सांस लेना अत्यंत आवश्यक होता है। यदि बच्चा पहले मिनट में रोता या सांस नहीं लेता तो उसके मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और शिशु की स्थिति अत्यंत गंभीर हो सकती है। गर्भजल का कम या अधिक होना, प्रसव के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव और अन्य जटिलताओं के कारण नवजात शिशु को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। वहां प्राचार्य डॉ. जीएस तितियाल, चिकित्साधीक्षक डॉ. अरुण जोशी, डॉ. प्रमोद कुमार, डॉ. बिंदु, डॉ. पूजा, डॉ. साक्षी, डॉ. नूतन आदि थे।







